पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/२०८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१२८९
दूसरा सिख युद्ध

दूसरा सिख युद्ध १२८

  • भी न बीतने पाए थे कि अंगरेज़ ने फिर दीवान मूलराज को हटा

न । कर उसकी जगह अपना एक ग्राशाकार "ी अनुचर मूलराज के शासन नियुक्त करने की आवश्यकता अनुभव की । मैं अंगरेज़ों का दीवान मूलराज को आय इस उश से दिल हस्तक्षेप किया जाने लगा ताकि वद तल जाकर अपन ज, पद से इस्तीफ़ा दे दे । मुलतान प्रान्त की ग्रामनी इस समय ३६हैं । ई लाख रुपए सालाना थी, जिसमें लाहौर दरबार का ख़िराज़ १७३. लाख था। इसे बढ़ा कर श्रव १६३ लाख कर दिया गया औौर यह तय कर दिया गया कि दो साल बाद १६६ लागत से बढ़ा कर इस ख़िराज़ को २५ लाख कर दिया जाय, औौर उसके तीन साल बाद ३० लाख 14 इतना ही नहीं, मुलतान प्रान्त के शासन में दीयाम मूलर की सहायता के लिए जबरदस्ती दो अंगरेज़ कमि श्नर, नौ अंगरेज़ कलेक्टर और सांत अंगरेज़ जज नियुक्त करके मुलतान भेजने की तजबीज की गई । दीवान मूलराज का शासन प्रबन्ध इतना सुन्दर था; उसकी प्रजा इतनी सुखी, सन्तुष्ट 'र "" सम्मृद्ध थी कि उस समय के अंगरेज लेखकों तक ने इन सब बातों को स्वीकार किया है । मूलराज का घोरोचित ग्राम सम्मान और { उसकी प्रजापालक्ता ट्रेनों में से किसी ने भी उसे इजाजत न दी कि वह अपने यहाँ के शासन में इस अनुचित हस्तक्षेप को गवार करे। विवश होकर नवम्बर सन् १८४७ में बह लाहौर पहुँचा। बहाँ पर उसने अंगरेज रेजिडेण्ट से प्रार्थना की कि दीघाभी के पद -- - -- ----------- -- -- - - - - - - • acr or t: Retter at Retw45 y 14 Arja, 12 liots, p 41