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पहला सिख युद्ध

पहला सिख युद्ध १२७४ का विरोध न करें और लाहौर तक की सड़क अंगरेजी सेना के के लिए खोल दें । । कनिजम ने विस्तार के साथ लिखा है कि किस प्रकार डूबरॉय में विश्वासघाती नेताओं ने मिस्र सेना को ले सिव सैनिकों की झाकर ऐसे स्थान जहाँ पर कि पर पहुँचा दिया नसीम वीरता नदी को पार कर सकना असम्भव था 1 वहाँ पर अंगरेजी सेना ने उन्हें दोनों ओर से घेर कर उन पर हमला किया, फिर भी एक भी सिख सिपाही विदेशियौं की शरण भाने के लिए तैयार न हुआ । निर्देय नेताओं ने अपनी इस बीर सेना का सर्वनाश कर देने के उद्देश से तोपखाने सहित उन्हें नदी के अन्दर बढ़ा दिया और वहाँ पर अपनी आंखों के सामने अंग रेज़ी सेना के हाथों उनका बध करवाया । यहाँ तक कि सतत मदो लाशों से भर गई और नदी का जल खून से रेंग गया। इस प्रकार बव के मैदान में सतलज नदी के ऊपर देशद्रोदी लात सिंहतेजसिंह गौर गुलाबसिंह ने रणजीतसिंह के कायम किए हुये साम्राज्य, पक्षाघ की स्वाधीनता औौर बीर तथा अजय सिग्नल , तीनों का खून करवा डाला ! । उस समय के देशभक और वफादार सिख सरदारों में शाम सिंह अटारी वाले का नाम सा के लिये स्मर शामसिंह अटारी णीय रहेगा । कनिद्म लिखता है किन्तु गृहे शामसिंह को अपनी प्रतिज्ञा का

  • Sittory f tit SiAAत, p 324

८१ दी चाता।