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भारत में अंगरेज़ी राज

१२७२ भारत में अंगरेजी राज हलाल साबित नहीं हुए । इन्हीं में एक जनरल वेश्रा इस समय लाहौर सेना के अन्दर अंगरेजों का खास गुप्तचर था। सिर की सैनिक कांसिल ने सत्र से पहला दूरदर्शिता का कार्य यह किया कि इस तरह के समस्त यूरोपियन अफसरों को अपनी सेना से बरखास्त कर दिया। किन्तु अपने घर के भेदियों का उन्हें उस समय तक भी पता न था । युद्ध का काफ़ी बहाना मिल गया । १३ दिसम्बर सन् १८४५ को गवरनर जनरल सर हेनरी हार्डि ने महा युद्ध का एलान राजा दलीपसिंह के साथ युद्ध का एलान किया और इस एलाम द्वारा सतलज के इस पार के दलीपसिंह के तमाम इलाके को कम्पनी के राज में मिला लिया। पश्लब के सरदारों और पशव की प्रजा के नाम गवरनर जनरल का यह एलान, इस तरह के अन्य राजनैतिक एलामों के समोन, झूठ और छल से भरा हुआ था। इस प्लान द्वारा पनव के जागीरदारों, , सरदारों ) और वहाँ की प्रजा को बझुका कर और प्रलोभन दे देकर बालक दलीपसिंह के विरुद्ध करने की पूरी चेष्टा की गई । सरकारी उलेखों से मालूम होता है कि गघरनर जनरल हार्डि को उस समय सिखों के दिल्ली पर हमला करने की आशा थी। ! इसलिए दिल्ली में सेना बढ़ा दी गई और चारों ओर की सड़क की रक्षा का विशेष प्रबन्ध किया गया । यदि राजा लालसिंह अंगरेजों से मिला न होता तो सिख सेना के सतलज पार करते ही वह फीरोज़पुर की अंगरेजी छावनी