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पहला सिख युद्ध

पहला सिव शुद्ध १६७ 1 की समय समय पर तबदोली होती रहती थी। इस मौकें पर कुछ सिख सवार फीरोजपुर के निकट सतलज पार करके इन संरक्षकों की जगह लेने के लिए कोटकपूरा जा रहे थे । सन्ना पार करने के लिए इन लोगों ने अंगरेज सरकार से पहले से इजाज़त नहीं ली थी। कनिहम का मत है कि इसने थोड़े से खबारों के लिए, जो इस तरह के काम के लिए जा रहे हों, सन्धि के अनुसार इजाज़त की कोई ग्राबश्यकता न ो । फिर भी क्षर ब्रॉडफुट ने, जो केवल झगड़ा मोल लेना चाहता था, इन सिग्न खबारों को सतत पार कर वापस लौट जाने को प्राशा दी । निस्त्र अफ़सर लड़ना न चाहते थे, उन्होंने मेजर ब्रॉडकृष्ट का कहना मान लिया। वे पीछे लौट पड़ेइस पर भी मेजर ब्रॉडफुट की तसली न हुई । उसने सेना सहित उनका पीछा किया । ठीक उस समय जब कि सिख संधार नदी को पार कर लौट रहे थे, अंगरेज़ी सेना उनक पीछे या । पहुँची । अंगरेज़ी सेना ने विना कारण सितय सबारों पर गोली चला दी। सिख दुलपति को इस बात की चिन्ता थी कि मैं अकारण अपने दरबार को अंगरेजों के साथ युद्ध में घसीटने का कारण न बन जाऊँ। इसलिए बिना अंगरेजी सेना की में गोलियों का जबाब दिए बह शान्ति के साथ नदी पार कर पीछे लौट गया और यह छोटा सा मामला यहीं समाप्त हो गया । फिर भी पने मतलब के लिए इस राई का पहाड़ बनाया गया । यह समस्त बयान कप्तान कनिम का है ।”

  • Cunningham s litter tr Sta, n, 22.