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अन्य भारतीय नरेशों के साथ एलेनब्रु का व्यवहार

अन्य भारतीय नरेश के साथ एलेनघ्र का व्यवहार १२५३ . रणजीतसिंह के पुत्र महाराजा शेरसिंह की हत्या की थी । अंगरेज हीरासिंह की जगह अतरसिंह को मन्त्री बनाना चाहते थे । काश्मीरासिंह के विषय में कहा जाता है कि वह महाराजा रणजीत सिंह का दत्तक पुत्र था । सम्भव है कि उसे दलीपसिंह की जगह गद्दी देने का विचार रहा हो। अंगरेजों की यह काररवाई सहाराजा रणजोतसिंह के साथ उनकी सन्धि का स्पष्ट उलहन थी। लॉर्ड एलेन के उपद्रव पजाब के अन्दर इसके बाद भी जारी रहे, किन्तु उनका फल पकने से पहले ही उसे भारत छोड़ कर इह्न लिस्तान चला जाना पड़ा । फिर भी जाने से पहले वह पक्षाघ को सरहद पर देशों और अंगरेज़ी फ़ौजों, तोपों, किश्तियों, पुल याँधने के सामान इत्यादि मागहमी युद्ध की समस्त सामग्री का पूरा इन्तज़ाम कर गया था । दक्खिन हैदराबाद के विरुद्ध पलनवु न अनेक साजिश की । मुसलमानों के बह विरुद्ध था ही। निज़ाम को निकम कठिनाइयों में फंसा करऔर पर दाँत आर्थिक उसे कृझे दे देकर प्लेनमू धोरे धीरे उसके ज़रवेज़ राज को हड़प लेना चाहता था1 हैदराबाद के करीब आधे किले उन दिनों बीर और बफ़ादार अरब सिपाहियों के संरक्षण में थे । एलेनघु इन अरबों को निज़ाम के राज से निकाल देना चाहता था। मलका विक्टोरिया के नाम एलेनझू के १३ अगस्त सन् १८४३ के एक पत्र में लिखा है- "निज़ाम की सरकार को नार्थिक कठिनाइयों के कारण पुराने सम्मी ने