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भारत में अंगरेज़ी राज

१२४ भारत में अंगरेज़ी राज का लॉर्ड पलेनझू ने ज़िक्र किया था वह सन्धि तक अंगरेज़ दी की इच्छा के अनुसार कुछ समय पहले रद्द करार दी जा चुकी थी। अर्थात् एलेनबु का सारा बहाना सिर से पाँव तक झूठा था । इस प्रकार बिना किसी कारण के लॉर्ड एलेनषे ने महाराजा लधिया के राज में घुस कर राजधानी ग्वालियर ग्वालियर पर हमला ग्वालियर रवार इस हमले पर किया। के लिए तैयार न था । २8 दिसम्बर सन् १९४३ को महाराजपुर और पनियार नामक स्थानों पर दो प्रसिद्ध संग्राम हुए जिनमें टॉरेन्स के अनुसार अंगरेज़ी सेना को असाधारण हानि सहनी पड़ी। फिर भी एलेनझू ने कम्पनी की पुरानी पद्धति के अनुसार कुछ अपनी सेना के बल और कुछ कूटनीति के बल जयाजीराव सींधिया की सेना पर अन्त में विजय प्राप्त की । इतिहास लेखक होष लिखता है कि सींधिया की सबसीडोयरी सेना, जिसके कुछ सैनिक ठीक उसी गाँव के रहने वाले थेजिस गाँव में महाराजा जयाजीराव सींधिया का जन्म हुआ था, अपने स्वामो के बिरुद्ध अंगरेज़ों की ओर लड़े। जॉन होप ने यह भी बयान किया है। कि किस प्रकार इन दोनों लड़ाइयों के बाद अंगरेजों ने सींधिया की सेना और प्रजा के साथ अनेक तरह के अत्याचार किएकिस प्रकार लोगों को मकान के अन्दर बन्द करके बाहर से आग लगा दी गई और सींधिया के इस तरह के अफसरों को जिन्होंने हार स्वीकार कर ली थी, दगा देकर मरवा डाला गया। होप ने इस समस्त मामले के सम्बन्ध में लॉर्ड एलेनटू के , उसकी