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अन्य भारतीय नरेशों के साथ एलेनब्रु का व्यवहार

अन्य भारतीय नशों के साथ एलेमथु का व्यवहार १२४७ छेड़ी। डंसने कहा कि कुछ वर्ष हुए घरहानपुर में दौलतराय थ सधिया और अंगरेजों के दमियान जो सन्धि हुई थी उसमें यह तय हो गया था कि यदि किसी समय महाराजा सींधिया अपने यहाँ के किसी विद्रोह को दमन करने या अपने प्राणुओं को परास्त करने के लिए अंगरेज सरकार से सेना । की सहायता माँगे तो अंगरेज उसकी मदद करेंगे। इस धारा के अनुसार लॉर्ड एनडू ने रामराब फलकिया को सूचना दी कि चूंकि स्वालियरराज में इस समय विद्रोह मौजूद है, इसलिए अंगरेज़ सरकार ने महाराजा जयाजीराव सींधिया की सहायता के लिए अपनी सेना ग्वालियर भेजने का निश्चय कर लिया है। किन्तु म महाराजा सींधिया पर उस समय कोई आपत्ति थी औौर में महाराजा जयाजीराव ने या उसकी माता सहाराश्री ने या ग्वालियर दरबार में किसी ने भी अंगरेजों से सहायता माँगी थी। इसके जबघ में लॉर्ड एलेन ने रामराव फल किया से कहा कि महाराजा के नाबालिग होने के कारण महाराजा की आवश्यकताश्री को समझने का अधिकार केवल अंगरेज़ गवरनर जनरल को है। रामराब फलकिया इस उत्तर को सुन कर चकित रद्द गया । इसका ' अर्थ केवल यह था कि अब तक की तमाम सन्धियों और प्रतिशापनों को रद्दी के टोकरे में फेंक कर लॉर्ड पतेनझू एक स्वाधीन, किन्तु नाबालिग़ गदेश के राज पर हमला करने के लिए कटिबद्ध था, और उसका कुछ न कुछ इलाक़ा हजम कर लेना चाहता था । इतिहास लेख होप ने लिखा है कि बरहानपुर की जिस सन्धि ७६