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अन्य भारतीय नरेशों के साथ एलेनब्रु का व्यवहार

अन्य भारतीय मरेशों के साथ एलेनथु का व्यबद्दार १२०१ महाराजा जब्कोजी की मृत्यु का समाचार सुनते ही लॉर्ड एलेनझू ने नागरे की ओर प्रस्थान किया, औौर अनुचित हस्तक्षेप बिना किसी कारण प्रागरे के निकट स्वालियर राज की सरहद पर कम्पनी कंt फ़ौजें जमा कर लीं 1 आगरे में बैठ कर वहाँ से लॉर्ड एलेन ने ग्वालियर दरवार के अन्दर साजिशें शुरू की । । ग्वालियर दबार उस समय नावालिगु महाराजा और रीझण्ट महारानी की ओर से रा प्रबन्ध करने के लिए दादा दादा ख़ासजीवाला नामक एक मनुष्य को सर्च सम्मति से प्रधान मन्त्री नियुक्त करना चाहता था । दादा ख़ासजोवाला योग्य, ईमानदार और सर्वप्रिय था । इसके विरुद्ध जिस मनुष्य को एनटें बढ़ाना चाहता था वह अयोग्य, विश्वाय और ग्वालियर के लोगों में अत्यन्त प्रिय था । फिर भी ठीक उस समय जब कि प्रधान मन्त्री का चुनाव होने वाला था, लॉर्ड ऐजेनर्द का एक पत्र ग्वालियर पहुंचाजिसमें लिखा था- । ख़ासजीवाला । ‘गयरनरजनरल .खुश होगा यदि जएट का पद मामा साहब को दे दिया जाय ।। राज की हालत उस समय निर्बल थी। कोई प्रौढ़ और प्रभाव का काम के कारण नाक के नाक में थे तो रास न आ - - - ' । hitherto had guiled his conduct and straitued every nerve to fict this ans election, ":SActed f the Hound f Shria, by Jolha ope p, 42 • " The Governor General would gladly see the Regery conterred ) upon the Mana Saheb, "-Lord Ellenborough