पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/१२७

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१२१४
भारत में अंगरेज़ी राज

१२१४ भारत में अंगरेज़ी राज ने मेजर ऊटरम पर इसका बदला उतारना चाहा, किन्तु अमीर नसीर खाँ ने उन्हें समझा बुझा कर शान्त कर दिया। हैदराबाद के अमीरों ने जनरल नेपियर को फिर एक पत्र भेजा, जिसमें उससे पूछा कि हमारे सन्धि पत्र पर अमीरों का हस्ताक्षर कर देने के बाद भी आप सेना लेकर नेपियर से प्रश्न नेपियर से प्री हैदराबाद की ओर क्यों आ रहे हैं । नेपियर ने कोई उत्तर न दिया, वह बराबर हैदराबाद की ओर बढ़ता रहा । क़रीब पाँच हज़ार बलूची नेपियर के मुकाबले के लिये हैदराबाद के नगर के बाहर जमा हो गए। अमीर नसीर खाँ ने १५ फरवरी को सवेरे फिर अपने महल से निकल कर इन झुद्ध बलूचिों को शान्त करने का प्रयत्न किया और कहा कि मैं कल फिर अपना एक वकील नेपियर पास भेजेगा और कगा कि विमा के प्रयत प्रज्ञा के रक्तपात और बरबादी के शान्ति से सब मामला तय हो जाय । उसी दिन दोपहर को मेजर ऊरम के सिपाहियों के साथ कुछ बलूचियों का झगड़ा होगया, जिसमें दो बलूची बलूचियों में रोष और ऊटरम का एक सिपाही तीन आदमी मारे गए। मेजर ऊटरम"ने इस पर नगर छोड़ कर एक जहाज में E आश्रय लिया। बलूचियों ने दो अंगरेज़ सिपाहियों को कैद कर लिया। मीर नसीर ख़ाँ और मीर मोहम्मद खाँ ने दोनों गोरे सिपाहियों को खाना खिला कर फिर स्वतन्त्र कर दिया। मीर नसीर ख़ाँ का दूसरा वकील अभी खर चार्ल्स नेपियर से - "