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भारत में अंगरेज़ी राज

१२१० भारत में अंगरेज़ी रा मीर रुस्तम खाँ ने फिर भो शान्ति से निबटारा करना चाहा। उसने कई बार सर चार्ल्स नेपियर से मिलने की रुस्तम खर्च की इच्छा प्रकट की, किन्तु नेपियर ने स्वीकार न सुलह की इच्छा किया । अलीमुराद के विश्वासघात और अंगरेजी सेना की सहायता से अब बूढ़े अमीर रुस्तम खाँ को अनेक प्रकार की आपत्तियों में डाला गयाउसका तरह तरह से अपमान किया गया । इस बीच खबर से जनरल नेपियर ने कप्तान स्टेनली को एक नया सन्धि पत्र देकर हैदराबाद के अमीरों के पास भेजा। इस सन्धि पत्र की शर्ती बहुत अपमानजनक थीं। हैदराबाद के अमीरों ने नए सन्धि पत्र को देख कर बातचीत के लिए अपने दूत नेपियर के पास भेजे। नेपियर ने दूतों से बात करने तक से इनकार कर दिया। इसी बीच नेपियर में अपनी सेना और तोपों सहित अकारण खैरपुर पर चढ़ाई की और बूढ़े रुस्तम खाँ से कहला भेजा ‘कि यदि श्राप अपनी जान बचाना चाहते हैं तो शोघ्र खैरपुर छोड़ कर हैदराबाद चले जाइयेमैं वहीं आकर अन्य अमीरों के साथ -- आपसे बातचीत करू‘ग। बूढ़े रुस्तम खाँ को नगर छोड़ कर 'अपनी स्त्रियों और बच्चों सहित ऊँटों पर बैठ कर हैदराबाद की और भाग जाना पड़ा। -disposal."-Congrest of Starld, a commentary, by Colonel Outramvol, j, 3p. 90 .