पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/१२२

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१२०९
सिन्ध पर अंगरेज़ों का क़ब्जा़

सिन्ध पर अंगरेजों का कब्ज़ा १२० 66 रुस्तम खाँ ने सर चार्ल्स नेपियर को पत्र लिखा कि आपसे जो 7 शिकायतें की गई हैं वे सब झूठ हैं और मैं पूर्ववत् अंगरेजों के साथ मित्रता कायम रखने के लिए उत्सुक हूं। इस समय एक और नई बात उड़ाई गई कि मीर रुस्तम खाँ ने कहीं पर अंगरेज की डाक लुटवा दी। कप्तान ईस्टविक साफ़ लिखता है कि यह डाक लूटने का काम अलीमुराद के जरिए कराया गया था, ताकि समीर रुस्तम ख़ाँ पर एक और झूठा इलज़ाम लगाया जा सके इस पर ईस्टबिक के शब्द हैं। यह देख कर कि वे लोग, जो अपने को गरे कहते थे, इन असभ्य और द्वपपूर्ण भूठीं बातों को सहन करते थे, हम तका और घृणा से मर " जाते हैं।’ गवरनर जनरल के नाम सर चादसे नेपियर के इस समय के पत्र वास्तव मे वृणित और अकथनीय बलों से भरे हुए हैं। करनल ऊटरम रूपष्ट लिखता है चूहे नरेश रुस्तम खां ने या उसके किसी भाई ने कभी किसी गरेज़ के सर के बाल तक की हानि न पहुँचाई थी, इसके विपरीत, उन्होंने उस समय जब हमें सबसे बड़ी आवश्यकता थी, अपना देश और सस्ता हमारी ) सेवा के लिए उपस्थित कर दिया था ।’’# • " One feels sick with shaine and disgust that such barbarous and mallgnant falseboods could be wnked at by men calling themselves English men. "-Ibid, p, 27L.

  • “ Neither the venerable Prince, . . . nor any ot his hrethren hai

over injured the hair ot a head of any British subject, but they, hal in the hour of our greatost need, placed their country and its resources at our