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भारत में अंगरेज़ी राज

१२०८। भारत में अंगरेजी राज अलीमुराद के जरिये अनेक झूठी सच्ची शिकायतें मीर रुस्तम ख़ाँ के विरुद्ध जमा कर ली गई । कप्तान ईस्टधिक लिखता है कि जनर नेपियर ने खुले तौर पर यह प्रकट किया कि मुझे अमीरों को दमन करने के लिए किसी बहाने की आवश्यकता है, फिर इसमें क्या। नाश्चर्य हो सकता है कि कुछ न कुछ इस प्रकार के अधम और नोचतम लोग मिल गएजिन्होंने अपने नरेशों के हुध्र्यवहार की शिकायत की, या अस्सीमुराद के एgयों ने इस सार्वजनिक प्रोत्साहन से लाभ उठा कर जाल साज़ियाँ शुरू कर दीं ? हैदराबाद के प्रमोरों के विरुद्ध भी २४ इलजामो की एक सूची तैयार कर तो गई, जिनके विषय में ईस्टविक लिखता है "ये सब थोये इलज़ाम थे जो केवल एक बहाना ढूंढने के लिए गढ़ लिए गये थे ।’ री ७ दिसम्घर क। बिना अमीरों से बात । चीत किए सर चाल्र्स नेपियर ने रोहरी से सब्जलकोट तक के इलाक मीर रुस्तम ख़ पर पर कब्जा करने के लिए अपनी फ़ौज को तैयार झूठा इलज़ाम करना शुरू किया। १४ दिसम्बर को अमीर • " The general openly avowed his anciety to abtain a pretext for coercing the। k and can we wonder that here were found among the basest and lowest of the people-done to complain of illtreatment at the hand of their rulers, or that the agents of Ali turad should have taken advantage of such a general encouragement for their fabrications ? "-Dry Ltaptr Pron Yotting g, p, 267.

  • " Frivolous aceusations, which were concocted for the simplo pur।

pose of making out a case, "-Ibid, p. 269. ।