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सिन्ध पर अंगरेज़ों का क़ब्जा़

सिन्ध पर अंगरेज़ों का कब्जा १२०७ करना। फिर भी २६ अगस्त सन् १८४२ को लॉर्ड एलेनषु ने सिन्ध के ममोरों को दण्ड देने के लिए जनरल नेपियर साजिश पक्की को एक विशाल सेना देकर सिन्ध भेज दिया। 8 सितम्बर स१८४२ को सर चार्ल्स नेपियर सिन्ध पहुँचा। हैदराबाद होते हुए वह अलीमुराद के साथ साजिश पक्की करने के लिए सक्खर पहुँचा । ईस्टबिक लिखता है कि “तुरन्त अंगरेज सेनापति ने आलीमुराद के पास उसके हौसले को बढ़ाने के लिये पत्र भेजे । अंगरेज सेनापति ने पहले मीर रुस्तम ख़ाँ से गद्दी छीनने का सब्रप कर लिया। उसने xxx उस बूढ़े अमीर को, जो अंगरेजों का मित्र था, पदच्युत करने और उसका राज छीन लेने का इरादा कर लिया । नेपियर की सेना के मार्ग में न रोके जाने का कारण यह था। कि अभी तक नेपियर ऊपर से अमीरों के साथ मित्रता को दुहाई दे रहा था। १ दिसम्बर सन् १८४२ को अचानक सिन्ध में एक एलान प्रकाशित किया गया, जिसमें पूर्वाक जालो पत्रों की बिना परलोर्गों को यह सूचना दी गई कि रोहरी से लेकर सट्जूलकोट तक का मीर रुस्तम ख़ खाँ का इलाक़ा कम्पनी सरकार ने जब्त कर लिया। कप्तान ईस्टविक और करनत ऊटरम दोनों ने अपनी अपनी पुस्तकों में इस घोर अन्याय को स्पष्ट शब्दों में स्वीकार किया है। मीर रुस्तम खाँ या अन्य अमीरों को जवाबदेही का कोई मौका नहीं दिया गया, म उन्हें उनके अपराध की सूचना तक दी गई । - Dry LCaptr hou Yentrs Egypr, p, 264.