पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/११

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'अदम्य उत्साह: -गोहत्या पर कड़ा दण्डे-—सम्राट बहादुरशाह के एलान__

प्लासी की शताब्दी__ अंगरेजो की सहायता के लिये नई सेना—सेनापत्ति 'बख्त खा__उसका शासन प्रबन्ध__अंगरेजी सेना की पराजय-अंगरेगजी सेना में नैराशय भांरतीय नरेशों की अनिश्चितता-इन्दौर और मध्यभारत की स्थिति‘नागरे की स्वाधीनता—इलाहाबाद अंगरेनी सेना का केन्द अंगरेजी सेना की कानपुर यात्रा-फतहपुर की अग्नि समाधि-थीबी राह का हस्या काण्डा-माना की ज़िम्मेदारी- कानपुर में ग्रैंगरेजी सेना के श्रत्याचार-पक्षाब का ब्लैकहोल-अजनाले की घटना-रावी तट का हत्या - फास्ट-अखागाले की काल कोठरी-अजनाले का कुंआ-चाया जगतपक्ष का बयान-दिल्ली में अंगरेजी सेना क्रान्ति कारियों में अनुशासन की कमी देशी नरेशों के नाम बहादुरशाह का पत्र--परंपनी को नई मदद नीमच की क्रान्तिकारी सेना--१४ सितम्बर कंा संग्राम-—दिल्ली के अन्दर कम्पनी की सेना का प्रवेश---मरगली—जामे मसजिद की लढ़ाई सम्राट बहादुरशाह की गिरफ़्तारी-शहज़ादों की हत्या दिल्ली के बाशिन्दों का क़ले यामवीरान और सुनसान दिल्ली—प्राइज़ एजेन्सी-मन्दिरों और मसजिदों की बेइज्जती-दिल्ली नए सिरे से नाबाद-दिल्ली के राजकुल का ग्रन्स—सम्राट का निर्वास औौर थम्स । टष्ट ४६७-५५४३ अड़तालीसवां अध्याय . . अवध और बिहार बेगम हजरत महल रेजिडेन्सी के अंगरेज़—हैवलाक की लखनऊ हैं यात्रा-नांना के मनसू-अवधे निवासियों के हौसले—हैवलाक की