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पहला अफ़ग़ान युद्ध

को अपने शेष आदमियों सहित अफ़ग़ानिस्तान की सरहद छोड़ कर चले आने की इजाज़त मिल गई। इस प्रकार अफ़ग़ानिस्तान की राष्ट्रीय स्वाधीनता को हरने का अंगरेज़ों का पहला प्रयत्न निष्फल गया। इतिहास लेखक सर जॉन के इस युद्ध के परिणाम के विषय में लिखता है—

“एक महान सच्चाई पाठकों की आंखों के सामने आ जाती है। जय कभी हमारे किसी पाप कार्य के ऊपर परमात्मा का भारी श्राप होता है तो हमारे राजनीतिज्ञों की बुद्धिमत्ता मूर्खता साबित होती है, और हमारी सेनाओं की शक्तिमत्ता निर्बलता बन जाती है क्योंकि सब के कर्मों का फल देने वाला परमात्मा अवश्य हमें भी हमारे पापों का बदला देगा।”[१]

 

  1. “…The reader recognises one great truth, that the wisdom of our statesmen is but foolishness, and the might of our armies is but weakness, when the curse of God is sitting heavily upon an unholy cause. ‘For the Lord God of re-compenses shall surely requite.’”—Kaye’s History of the Afghan War.