पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/८७

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मारतके प्राचीन राजवंश शायद गेयदेदके समय होयका राज्य, अधिक बढ़ गया है, और प्रयाग मी उनके राज्यमें आगया है । प्रभन्धचितामणिमें गायदेवके पुत्र कर्ण काशीका राजा लिया है। १६-कर्णदेव ।। यह म[गेयदेवका उत्तराधिकारी हुआ । वीर होने के कारण इसने अनेक लड़ाइयाँ सडाँ। इसने अपने सम पर कर्णावती नगरी बसर । जनरल कनिङ्गहमके मतानुसार इस नगरी मनाथशेप मध्यप्रदेशा कातलाईके पास है। काशका कमेरु नामक मन्दिर भी इसन बनवाया था । भेडाघाटके लेख बारहवें श्लोमें उसकी वीरताको इस प्रकार वर्णन है.--- पाण्यदहमताम्मच मुरलस्तत्यानगर्ने ग्रह, { } इ सतिन्दराजगाम घ' बघ्नः परिई सद् ! कर खदासपनर हूण | प्रप नही, पमित्राननि शौर्सयमभर निघ्यपूर्वप्रभे ॥ अर्थात् र्णदेवके प्रताप और विक्रम सामने पाण्ड्य देके राजाने उता छोड़ दी, मुरलीन गर्न ई दिया, कुइँने स छाछ प्रह ६, बड़े और कलिङ्ग देशबाटे कप गये, कारवालें पिके तोते की तर चुपचाप बैठ रहे और हूने हर्ष मनाना शह दिया। विक दंपर्ने तिचा है कि, चॉइ, फुग, ण, गड, गुर्जर, अर करके राना उसी सेवामें रहा करते थे । () Ep Yad Ya II, II, ( 3 ) Real TKI (1) Kal गम् । (५) FRead इण : पे ।(५) fnt, Aut, Pl, viri, 21i. १६