पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/८

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और खरोष्ठी लिपि सिकन्दर के पीछे उसी तरह इन देशोंमें दाखिल हुई थी, जिस तरह मुसलमानी राज्योंमें अरबी, फ़ारसी और तुर्की आचुकी थी। मगर भारतकी असल लिपि ब्राह्मी होनेसे मुसलमानी सिक्कोपर भी कई सो बरसो तक उसीके बदले हुए हिन्दी अक्षर लिखे जाते थे।

सिकन्दरने ईरान फतह करके पंजाब तक दखल कर लिया था और अपने एशियाई राज्यकी राजधानी ईरानमें रखकर ईरानियोके बड़े राज्योको कई सरदारोंमें बाँट दिया था जो संतरफ कहलाते थे। मुसलमानी इतिहासोंमें इनको 'तवायफल-मदक' अर्थात पुश्वर राजा लिखा है। इनमें असमानी परावेरे राजा मुख्य धे भौर ने ही हिन्दुस्थागमें आएर शक कहलाने मौ थे। उन्होंने ही बिटम सम्बद १३५ में शक राम्बा, चलाया था। यही पार सम्बत् अननपके मिले दुए शनपोक ११ लेखी मीर (शम सम्बत् १० से ३०४ तक) मियोंमे मिलना है। 3-0 वर्षों तद धनोवा राज्य रहा था। शान पारतियोंके पुराने शिला-लेयाम और आसार भजम नाम अपने क्षपादकी जगह छापभाम' शब्द रिखारे । यह भा क्षय शल्दप्स मिलता हुआ ही है और इसका अर्थ काशाई है। सरोः लिपि अरबी फारसाकी तरह पहनी तरफ्ते बाई सरफमा लिखा जाती या। इसीका दूसरा नाम गांधारी लिपि भी था। सनाद लाशये कई लेख इस लिपिने लिखे गये हैं। परन्तु पारसके पुराने लेरनीकी लिपि हिन्दीगी नरह पाईम पाई तरफको लिखी जाती थी। इस लिपिके अक्षर फालके माफिक हानेस यह मारा नामस प्रसिद्ध है। गुजरातो पारसियोंने इसका नाम वालोरीका लिपि क्या है । इरास मा वहो मतला निकलता है। उसका नमूना पृय दिया जाता है। १ सतरफ शब्द बहुत पुराना है । जरदस्त नाम के सीसरे सण्डमें लिखा है कि मादशाह दराएम (दारा) ने पिका पत्तका सण्डा सिंध नदी के किनारे सिंगल (यूप)के किनारेतक फहराता था अपनी इस इतना धनी अमरदारको २० सूर्वो- में चाँदर एक एक सूना एव एषा सतरपको सौंप दिया था जिन बम गिराजक सिंहाय दूसरी लागे भी लिया करता था।