पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३६१

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भारतके प्राचीन राजबंश अधिंकार में रहा । इसके बाद महाराणा हम्मीरसिह ने, जिस मालवे बने अपनी लड़की ब्याह यी, चोखा देकर उसे किलेपर अमर कर लिया। इसपर मालदेव मय अपने जैसा, कपाल और वनवीर नामक सीन पुत्र हामीं से लडनेको प्रस्तुत हुआ, परन्तु हम्मरदास हुयी जाकर माग गया । अन्त में वनवर हम्मीरको सेवामें जा रहा और उसने उसे नीमच, जीरुन, रतनपुर और वैडिका इलाका जागरमें प्रदान किया तथा कुछ समय बाद वनवीरने भैंसरोहपर अधिकार कर लिया और चम्बलकी तरफा वह् प्रदेश फिर मैदाङ राज्यमें निझा दिया । । आगे चलकर मृता नैणसी लिखता है कि " मारवाडके राव अमलने नाडोलमें कान्हड़देवके वशको एढ़ साथ ही करल कैरवा आळा । के वनवा पनि गौर राणाका पुत्र ला जो के उस समय माके गर्ममें था वहीं एक देना । उसके वशनाने मेवाड़ और मारवाडके राजा ऑकी सेवामें रह फिरसे जागरै प्राप्त झी । । । | कर्नल हौइने अपने राजस्थानके इतिहास लिखा है * * मालदेचने अपनी विधवा लडका विवाह माया र साप किया मा ।" परन्तु पए बात बिल्कुल ही निर्मूल निवृत्त होती है। यों के जब राजपूतानेमें साधारण उज में भी अब तक इस घातको वही भात एतक समझ जाती है, तब उक्त घटनाका होना तो बिलकुले ही अमम्भव प्रतीत होता है। तवारीख-ए-फरिइनमें लिखा है

  • आखिरकार चिंचौडको अपने कब्जेमें रग्ना फल समझ मुलतानने स्पिनरसानको उसे पाली कर राजा माननेको ५ देने आशा है दी। उF हिन्दू राजाने पड़े हैं। समपमें उस प्रदेशको फिर अपनी अगली हाड़ पर पहुँचा या और अल्तान अल्लाउद्दीन सामन्ती पतचे पदापर वह अचवे करती रही।" । her: wkta Vol 1, 203,

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