पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/३३४

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नाहोल और जालौरके चौहान् । पर चौलुक्म मूल्यका और मेवाड़पर शकुमार या उसके पुत्र शुचिवर्माका अधिकार या । ये दोन राजा लक्ष्मणसे अधिक प्रतापी थे। | राजस्थानमें यह भी लिंद हैं कि मैं सुबुक्तगीनने भाडेलपर चट्टाई की | भी और शायद नाडोलदाने शहाबुद्दीनपोरीकी अधीनता स्वीकार कर ली थी। क्योंकि माहोलसे मिले हुए विकॉपर एक तरफ राजाका नाम और दूसरी तरफ सुलतानका नाम लिखा होता है । परन्तु यह बात भी सिद्ध नहीं होती। क्यों कि न तो सुबुक्तगीन ही लाहोरसे आगे बढ़ा घा, म उदयसिंह तः इन्होंने दिल्ली अधीनता ही स्वीकार की थी और न आतक इनकी चलाया हुआ एक मी सिक्का किंस देखने में अपी है । यद्यपि इस समयका एक मी लें। अभीतक नहीं मिला है, तथापि नांदोलने की सूरजपोल पर फैल्हण समयका वि सं० १९२३ का ले लगा है । इसमें मॅसगक्श लाखगई। नाम, और समय वि० सं० १०३९, लिखा हुआ है। उक्त सूरजपोल और 'माडोलका किल्ला इसका बनायी हुमा समझा जाता है । इसको देहान्त वि० सं० १०४० के बाद इfiध ही हुआ होगा, क्योंकि गूंधा पशुपर्छ। परके मन्दिर लेसमें लिखा है कि इसका पौष चार्लराज माल प्रसिद्ध राजा माक्पतिराज द्वितीय ( मुंज ) फा समकालीन था जौर उक्त परमार राजाक देहात वि० सं० ११५० और १०५६ के बीच हुआ था । . इसके दो पुत्र में, शोभित और विग्रहराज ।। २-शमिंद ।। यह भयका पुत्र और उत्तराधिकार प्रा । | इसका दूसरा नाम सम भी था । सूधा पहाड़ी परकै छेसमें इस आयुक! इतने नाला लिया है। यथा-" तस्मद्धिमाद्मिनायययहारी नतोऽजन नृपो..." (१) दार्गफ्टर अदरको ११:५८ की रिपोर्ट मित्र ३ चैत्र : १८५