पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२४०

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पालवंश। इम्प-मपद्धल ) के नाट्टा इलाके के दो गाँव श्रीधर ब्राह्मणको दिये थे। इस इनके तापत्रमें संयत नहीं है । तथापि उसी faधि आदि में बहुत नानुमान है कि यह घटना सन् ११४२ ईसवी ( विप्र-संवत् ११९९ } | की हो । कुमारपाळके पुत्रको नाम गोपाल ( तीसरा ) था । १८-गोपाल ( तीसरा }} यह कुमारपालका पुत्र और उत्तराधिकारी था ! इसका विशेष वृत्तान्त नहीं मिला। १९-मनपाले । यह् राजपाल पुत्र और कुमारपाका छोटा भाई था । वहीं परल बाद राज्यका अर्थकारी हुआ। इस मौका नाम भदभदेव था । -इसके ज्यों आठवें वर्षकी एक ताम्रपत्र मिला है, जिसमें लिखा है ईि इसकी पट्रानी चिन्नमतिका देवने महाभारतकी कथा सुनकर उसकी दक्षिण में नटेश्वर-स्वामी नामक ब्राह्मण को पट्टवर्धनभुक्ति के कोटिंघर्ष इलाकेको एक गाँव दिया। यह भी अपने पूर्व पुरुषों के अनुसार ही बौद्वधर्मानुयाम यौ । इसके समय पथ शिलालेख और भी मिले हैं, जे इसके ने राज्य-वर्षसे उन्नीसवें राज्य-वर्ष तक हैं। अन्य पालान्त नामके राजा | मदनपाल तक ही इस बैंशकी गृहलाम'द वंशावली मिलती हैं। इसके पीके राजाका न तो कम ही मिलता है और न पूरा हाल ही; परन्तु कुछ लेस, इन्ही राज्यमें, पालान्त नामकै राजाकै मिले (५) Ep. Ind, Vol L, 348, १६ } 1, #m, A, B for 1900, } [5,