पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२२७

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(भारतके प्राचीन राजवंश साधु पाकुर-आज्ञान तिब्वत गया । वहाँ उसने वाद्धनतके महीयानसम्प्रदायका प्रचार किया । पाहूर्व राजा, चौद्ध धर्मावलम्ब होने पर भी, ब्राह्मा सम्मान किया करते थे। ब्राह्मण है। उनके मन्त्री होते थे। उनकी राजधानी दीद तपुरी थी । इनके समममें शल्प और विद्यार्ण इन्नति पर थीं । उनके शिलालेखों और तमिपनों में प्रायः राज्यवर्षे ही हिंघे मिलते हैं, संवत् बहुत ही कम देखने आये हैं। इससे उनका ठीक ठीक समय निधित दरना बहुत कठिन हो गया है। अद्याप तिब्बतके विड्यात बद्ध ढूंसक शारानाथने और फारसा पासैद्ध बक अबुलफजूलने इनक्की झालियाँ लिई हैं तथापि इनमें क्षेचे नाम बहुत ही कम है। १-दयितया । । यह साधारण राजा या । इसके समय से इस घाझा वृत्तान्ट मिलता है। |' ३-बयद । यह दुन्निविष्णुका पुत्र था। ३-गोपाल (पहला)] यह वप्यटका पुन मा । यही इस वैशम पहा प्रतापी राजा हुआ । मलमपुर के ताम्रपत्र लिखा है ; * अराजकता र अत्याचार दूर करनेके लिंए घर्भपाट् टोन स्वम अपना स्वामी नाग।।" सारनायन भी देगा है कि " बट्टार्छ, उहया और पूर्वका तरपार्क अन्य पाँच प्रदेश में वाह्नग, क्षत्रिय, वैश्य आदि मनमाने राजा भने गये थे। उनको नति-यय पर चलानेवाला कोई बलवान् राजा ने पा (३) Ep. Jed, v1. I.-() 0 5 vari