पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२१२

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मालपेके परमार । मयम अधिकारी बनाया था 1 इसमें अनुमान होता है 16 मुहम्मद तुगकने ही मालवे के परमार-राज्यकी समाप्ति की । । यद्यपि फीरोजशाह तुगलक के समय तक मालपेके सूनेदार दिल्ली | अधीन हैं, लथापि उसके पुत्र नासिरुद्दीन महमूदशाहके समयमें दिला| घरख । स्वतन्त्र हो गया । इस दिलावरखाको नारीरुद्दीनने हिं० स० ७९३ (वि० सं० १४५८.) में मालवैका राजेदार नियत किया था। | हि० स० ८०१ ( वि० सं० १५५६ )में, जिस समय तैमूर भयसे नासिरुद्दीन खिसे भागा और दिंलावरखके पास धारामें अब रहा, 'उप्त समय बिलावरने नासिरुद्दीनी घहुत खातिरदारी की । इस बातसे नाराज होकर दिविवॉो पुत्र होशङ्ग माण्डू चला गय। 1 चहूके इ दुर्गक उसने मरम्मत कराई । उसी समय, मालधेकी राजधानी - माण्डू हुई । मालवें पर मुरालमानाको शिर हो जानेपर परमार राजा जयसिके वंशज जगन, रथैभौर आदि में होते हुए मेवाड़ चले गये। वहीं पर उनके जागीरमें मजल्याझा इलीकी मिली। ये बीजोल्यावाले घास परमार-झमें पाटर्दा माने जाते हैं । इस कामय मालवे राजगड और नर्सिगढ़, ये हैं। राज्य परमारोंके हैं। उनके यहाँकी पढ़ले तोरीस पाया जाता है कि में अपनेको उदयादित्यके छोटे पुत्र की सन्तान मानते हैं और यज्ञोल्पाघाको अपने शके पाटव समझते हैं । यद्यपि बुन्देलखण्टुमें पर ३ तथा मालवे ने घर और देणारा राना मी परमार हैं, वधावि अब उनी सम्बन्ध मरटॉसे हो गया है। | सारांश ।। मायेके परमार-वामें कोई सटे चार या पनि सो बर्ष तक राज्य हो ।