पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/२०७

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भारतके प्राचीन रजर्वेशये दान दिये गये । परन्तु लेख वाढत है । इससे क्या क्या दिया गया इसका पता नहीं चलता। वि० सं० १३१७ (६० स० १२६०) का दमी राजा , एक श भी ताम्रपत्र मान्धाता गाँवमें मिला है। यह मपटपसे दिया गया था, इस पर परमार मुहर स्वरुप गद र सर्पका चिद मौजदू है । यह दान अमरेमें (पिला र नर्मदा सङ्गम पर स्नान करके) विमा मामा था । उक्त समय इस राज्ञाय मन्त्री मालाघर या। | २२-जयसिंहदेव ( तीसरा )। दह जपत्रमा उत्तराधिकारी हुआ। वि० सं० १३२६ (६० सन् १९६९) का इसका एक केस पषा गाँवमें मिली है। परन्तु इसने इस्र वर्क नहीं है: विशावके एक ' लता है कि | उमने घारापर चढ़ाई की और से लूटा । यह विशालदेव अनहदवाड़े-- का बल्ल राजा था । परन्तु इसमें माटवे राजाका नाम नहीं लिया। यह हाई इसी जयसिंहदेयके समय हुई या इसके उत्तराधियों के समयमै, यह बात निंजय-पूर्वक नहीं कह सकते । ऐसा कहते हैं कि जरात कने ब्यास मातेने घराके इस विजयपर एक. काय लिहा था। ३३-भोजवैव (धूमः ।। | हुम्मैरि-माकान्यके अनुसार यह जयसिंहका उचगधकारी हुआ। | ई० म० ११९२ में विधाका राजा पृधीराज मारा गया। उसी साट | अजमेर मी मुसलमान हायमें चला । । मुसलमानने अजमेरमै पनी तरफ से पृथ्वीरानके पुत्र अधिष्ठित किया । परन्तु धतुत | (१) Ep Ind ,Yet # 11. (२) ६.६.!,११,११)Ind.. Ans, Pl. I. . 18I, (५}E. ५,1,35. १६४