पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१८९

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मारत प्राचीन राज्ञवेद समय नष्ट हो गया । इरर समय गुजरात राजा feद्धराज जयसिंह चहा प्रतापी हुआ 1 उसने मारावें पर अधिकार कर लिया। | श्यन्यन्तिाजमें हिंसा है कि एक बार जयसिंह और उसकी माता सोमेश्वर यापाः गये हुए थे। इसी बीचमें यशवमने उसके राज्य पर चाई दी। उस समय जयसिंह राज्यका प्रबन्ध उसका मन्त्री सान्तुके हथिमें था । उसने यशवमसे घापस लौट जाने प्रार्थना की। इस पर अपने ही ६ि प३ नम मॐ जयक्किी पालकी पुष्य दे दो तो में वापिस चला जा*। इन पर नष्ट हाय का तने जयसिंह की या पुग्छ योरमको दे दिया। सिराज जयसिह यात्रा से लौटा तो पू. हाल दुगुन कर बहुत नाराज़ हुआ था सान्तुसे कहा ॐ ने ऐसा क्यों किया । इस पर सन्तुने उत्तर दिया कि यदि मेरे देनेने आप पुण्यं य च्च हिल गया है। जो आपका चट्ट पुण्य में आपको लौटता हूँ और साथ ही अन्य महात्मा का पुण्य भी देता हैं। यह सुन कर जयसिंहका मोघ शाल हो गया । कुछ दिन बाद् बला लेनेके दिए जयसिंहने मालों पर चढ़ाई की। यहुन झालन इट्स होता नहा । परन्तु पार नगरीक दह अपन गधीन में कार है । सब एक दिन युद्धमें ऋद होकर जयसिंहने यह प्रतिज्ञा की कि जब तक घारा नगरी पर विजय प्राप्त न कर ग तय तक भोजन न करूंगा। राजाकी इस प्रतिशफी सुन र उस इन इसके अमात्यों और भने बड़ी ही वीरता थ६ किया। उस दिन पाँच में परमार मारे गये तपााँचे सन्ध्या त पार पर दावलं न हो सका । तर अनाजी पार नगरी बनाई गई । उसको तौह हर गाने अपनी प्रतिज्ञा पूरी । । इसके बाद मूळ नामक मन्त्रीही सलाखें जासूच्चों द्वारा गुप्त भेद माह का पियन पहिने दक्षिणा फाटक तुवा हा । इरी रस्ते विकले ‘पर हमला करके धाराको जीत लिया और यज्ञशको ए इससे चाँध का वह पापा ले आया। ६