पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१८३

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भारतके प्राचीन रोजचश है। कहते हैं कि उसकी छाती पर स्तन-चिन्न न दें।) उसके सामने न होनेम लता शर्त है । क्योंकि छिया स्त्रियोंहीके बीच अपेष्ट चेष्टा कर सती है । इस प्रकारे इस चैपाके मुझे अपनी प्रशंसा सुनकर जगद्रेशने राजा दी हुई यह बहुमूल्य भेट इसी वेश्माको ३ हाली । कुछ दिन नाद परमझी कृपसे जगदेव एक मान्तका अधिपत हो गया । उस समय अगदेव गुरुने इस प्रशंसा में एक स्ट्रोक सुनाया । इस पर जगदंघने ५०८२० मुद्रामें गुरुको उपहार दी। | परमदीं पटाभने जम्मवैवको अपना भाई मान लिंया भी । एई यार राजा परमदने श्रीमालझै रानाको परास्त झनै दिए जगदेवकों ससैन्य गैा । वहाँ पहुँचने पर, जिस समय जगदेव देवपूजनमें लगी हुआ पा, उसने सुना कि शवने उसके सैन्य पर हुम्ला करके उसे परास्त कर दिया है । परन्तु तब भी वह मुंव-पूजन अपूर्ण छोडकर न उठा । इतने में यह उन्नर दूतों द्वारा परमट्टी के पास पहुँची । इसने अपनी रानी कहा कि सुम्हारा भाई, जो वह वीर समझा जाता है, उसे घिर गया है और मागनेने में असमर्थ है । इस पर उसने उत्तर दिया कि मेरे भाईका पास्त होना भी सम्मय नी । इसी बीच दूसरी दर मि कि देषप्शन समाप्त करके जगदेवने ५०० योद्धा सहित उजु पर हमला किया और उसे क्षण ममें नष्ट कर दिया । _ इॐ कमल बाद इस पररर्दीका मुद् सपाक्षके ना गृवीरान चौहानके साच्च । 1 जसे भाग कर परम अपनी राजधानीका होना पड़ा। प्रदन्य-चिन्तामणि फहने कुन्सल-देश राजा परमको तय! चौहान पृथ्वीराशके , महोवाके बन्देल राजा परदको, एक ही कामझा है । यह इसका भ्रम है।