पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१८०

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मालवेके परमार। रहूँ। ६६ । तब गिद्वरानने जगदेवसे पूछा कि तुमने इस घटनाको क्या कारण ज्ञात किया है इस पर उसने कहा कि जै। इन मन्ने निवेदुन किया वैसा ही हुआ होगा।' यह सुनकर सिदराने उन सव सामन्तको चहत भार । इसके बाद उसमें यह सारा वृत्तान्त ज रात को हुआ यी, कह सुनाया । जन| वही उसने बहुत प्रशंसा की । फिर उसके साथ अपनी चट्टी राज मारीका विवाह कर दिया और २५८६ गाँत और जगारमें दे दिये ।। • पूर्वोत्तर नाके दो तीन वर्ष बाद सिराज कच्छके राजा फूल 'पुत्र लाना ( लाखा फलाणी ) की पुत्री से विवाह फनै भुज गया । उस समय देव भी उसके साथ था 1 जा फूलने जो जगचेवकी कुलीनता और इसे अच्छी तरह चर्चित या, अपने धुन काय? छोटी सही फूलमतसे जगदेवका विवाह गी उस समय कर दिया । लाया जी पुढी, सिद्धराजकी रानी, ॐ शरीर में कुलभैरवका आवेश हुआ। करता था। उस मैरवके साथ दुई करके भगवर्ने उसे अपने घश र लिंया । सेिदराज पर यह उसका दूसरा एहसान हुआ । एक दिन स्वयं चामुण्डा देवी, भावनीका रूप धारण करके, सिंदुराजकै दूरबारमें कुछ माँगने गई। वहाँ पर जगदेवने कोई बात पड़ने पर अपना सिर काट कर उसे दैवको अर्पण कर दिया। उसकी वीरता और मक्तिको प्रसन्न होकर देवीने उसे फिर निंदा दिया । परन्तु उसी दिनसे सिद्धान उससे अप्रसन्न रहने लगा । यह देल जगदेव पाइन छोड देनेका बिचार डेढ़ किया । एतदर्थ उसने सिद्धानकी आज्ञा माँग जौर अपने स्त्री-पुत्रों सहित बड़े धाराको लौट गया। वहांपुर उदयादित्पने उसका बहुत सम्मान किया। | कुछ समय बाद इदात्ये वहुरा बीमार हुआ । जथ ने यह न रही, सच उसने अपने सामन्तको एकन्न झरके अपना राज्य अपने १३७