पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१८

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पर भी धंधुरकी मालाइतें होने के कारण हो भौध कहलाते होंगे । धांधू पर्वरोंगे. राग्य पर भाटियोंने कजा कर लिया और उनमे टम मौसलोंने छीन लिया। ओसियों के सिरियाय माताके विशाल मन्दिर माना जाता है कि 'मतदेय पारका राज्य बहुत बड़ा था, पयों कि यह मन्दिर दासी सयसी सामना है और एक दिन के समान अब तक साचित राहा है। मनमालगे पारित और भी शासाएं किसी ची। उनमेंगे कारटमा नानकी शासाका राज्यमाचोरमें था और काया शामका राज्य भीनमालके पारा राममन नगाह फई टिकानोंमें या। कुछ समय बाद कालमा पौरोंसे तो चौदानाने राज्य रहीन लिया और काया पापायाले अब वक राममन वगैरद ( जसवन्तपुर) गबॉम मौजूद है। कम प्रफार परमारों के मारवाड़मेर इनाने यड़े राम्म अन्न फेवल फाया पोरके माम घोहीभी जमीदारी रह गई है। मालपमें भी परमारोंका विशाल राज्य था । जिसके बाबत स्यातोंमें यह सोरटा लिया निसता है: “पिरथी बड़ा पार पिरथी परमारती । एक उजीणी धार दूजी आपूयेसणो॥" यह राज्य मुमलयाग पादशादौकी वाइयों बावाद हो गया। मगर यहाँसे मिक्ली हुई कुछ शाखाएँ अव तक नीचे लिखी जगहोंमें गौर हैं:मालवा-धार और देवाम् । मुटेललाट-अायगढ़ 1 मराभारत--राजगढ़ और मरहिमन से समपारलाक पवार है। बिहार-भोजपुरिया, बसरिया बगह परमाके राम अमराव पादिम है। मंयुक्तमान्त-विहरी गनुशल (स्वतन्त्र राज्य)। कागहके पौराका राज्य गुहिलोरोनि से लिया भा । यहीं पर भर गिरपुर और समादेशी रियामते है।