पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१६५

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भारतके प्राचीन राजवंश किया है। नोदय नामक ग्रन्थ उसकी चनाया हुआ बताया जाता है । जसकी जिंता म्प यहुत है । कई विद्वान् चम्पू रामायणको भी इसी कालिबासकी बनाई बताते हैं। उनका कहना है कि कालिंदासने चसमें भौजका नाम उसकी गुणग्राहकता कारण रख दिया है। | सूक्तिमुक्तावली और हाराबल्ल राजशेखरका बनाया हुआ एक लोक है। इसमें कालिदास नाम तीन कवियों मन है । वह श्लोक यह है एप ज्ञापते इन्त पछिौ न केनचिम् । ऋतरे ललिवद्वारे झालिदास्नभयं किमु नवसासद्भपात एक पुस्तक उसका कर्ता पमगुप्त भी कालिदासके नामसे लिया गया है । उसका वर्णन एम पहले कर चुके हैं। मानन्दपुर (गुजरात) के रहनेवाले बच्चटके पुत्र ऊबटने भोनके समग्रमें उनमें चाजसनेय-सहिंता ( यजुर्वेद ) पर ष्य लिखा था, और प्रद्धि ज्योतियों मारकाचार्य के पूर्वज्ञ मास्कर भट्टको मोजने बियापलिको उपाधेि दी थी ।। मोजके समय वैियाका बहा प्रचार था। उसने विद्यावृद्धिके लिए घारा-नगरी# भोजशा नामक एक संस्न पाठशाफी स्थापना झी थी । जस पाठशालामें न, उद्यादित्य, नरम और जानवर्मा आदिके समयमै भरिकी फरिका, इतिहास, नाट्फ आई अनेक अन्य साम पष्टयरकी बड़ी बड़ी शिला पर सुइया कर रहे गये थे। उन पर अन्दाजन ५००० लोका हुदा उहना अनुमान किया जाता है। वैदको विषय है कि घारा पर मुसलमानका दसल हो जाने के बाद उन्होंने जरा माशाला गिरा कर वहीं पर मसजिद अभषा ६ । वह मोलाना कमालुद्दकी कमर पारा होनसे कमाल मौल्लाकी माजिदके नाम] मखेद्ध है। इसकी शिकाऑके अक्षरों को टॉक तोड़ कर