पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१६२

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भालके परमार। | इनकुड़ नामक स्थान फउपपाष्टमंशसम्बन्धी एक लेख लिखी है कि भौजकै सामने सममें शान्तिसेन नामक ने सैक वानको पूरयिा था । पर उन्हेंने उसके पहले डम्बरसेन ६ जना सामना किया था। इन सातसे स्पष्ट प्रतीत होता है कि भोज सम धर्मोंके बिंदुनाका सम्मान करता था। पारा अबदुल्लाशाह चाफी कब्र ८५९ हिारी ११४५६, ३०) के लेसमें लिखा है कि भोज मुशलमान होगयी या और उने सपना नाम अगदुल्ला रखा था। परन्तु यह असम्मवसा प्रतीत होता है । ऐसा विंदान, धार्मिक और प्रतापी राजी मुसलमान नहीं हो सकता ! इस | समय मुसलमानका आधिपत्य केवळ उत्तरी हिन्दुस्थान में था । मध्यभारतमें उनका दौरा न था। फिर भोज कैसे मुसलमान हो सकता था १ गुल्नुले अब नामक उर्दू एक छोटीसी पुरलकमें लिखा है कि अबढ्छाशाह फकीरकी करामाताको दैत्र कृ भेजने मुसलमानी धर्म ग्रहण कर लिया था। पर यह केवल मुलाकी कपोलकल्पना है । क्योंकि इस विषयका कोई प्रमापा फ़ारसी तवारीखोंमें नहीं मिलता। भोज विद्वानोंमें फविराजके नामसे प्रसिद्ध था। उसकी लिसी हुई न भिन्न विषयों पर अनेक पुस्तकें बताई जाती है। परन्तु उनमें कोन कोनसी वास्तवमै भौजी बनाई हुई है, इसका पता लगाना कान हैं। मोजके नामसे प्रसिद्ध पुस्तक सूची नीचे दी जाती हैज्योतिंप | रामगाड़, राजमार्तण्ड, विद्वज्जनबम, प्रश्नान और आदित्यप्रतापसिद्धान्त। अलद्वार । सरस्वतीकण्ठामरण । योगशास्त्र ! निमार्तण्ड १ पतलैयोगसूफी दीका )। धर्मशास्त्र ! पूर्तमार्तण्ड, घण्इर्नति, ब्यवहारसमुच्चय र चाम्य । शिल्प 1 समराङ्कसूत्रधार।