पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१४६

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मालपैके परमार । दुर्लभराने वि० स० १०६६ से १०७८ तक राज्य किया था । अतएव गुजरातका राजा चामुण्ट्रानका अपमान करनेवाला मायेफ। राना मुझ नहीं, किन्तु उराको उत्तराधिकारी होना चाहिए । मुका प्रधान मन्त्री रुद्रादित्य था । यह उसफ़े लेखेने पाया जाता हैं। जान पड़ता है कि मुझको पनि दालान आदि बनाने का भी कि या । घार पासको मुखसागर और मॉड्के जहाज-महलके पासका मुझ तालावे आदि इके बनाये हुए खयाल किये जाते है । अब हम मुनक्की समाकें प्रसिद्व प्रसिद्ध गन्य का उल्लेख करते है । इससे उनकी आपसी समनताको म निश्चय हो जाय । । धनपाल । | गल्ल कविं काश्यपीय ब्राह्मण देवपिंकी पोन और सर्वदेवका पुत्र था । सचदेव विशाला ( जन ) में रहता था । पह अच्छा विद्वान् था आर जैनस जसका विशेप समागम् इहा । धनपालका छोटा भाई जैन हों गया था । परन्तु धनपालकों जैनॉझे घृणा थी । इसीप्त वह उजेन छोड़कर घारानगरीमें जा रहा । वह उसने वि० सं० १०२९ में उभरकोपकै ३गपर * पसलछीनाममाला (प्राकृत-रूक्ष्म) नाभा मत प अपनी छोटी हुन सुन्दरी (अवन्तसुन्दरी) के लिए बनाया । उसकी बहन भई विड थी, उसकी बनाई प्राकृत-कविता अलङ्कार-शाखके ययों और कॉपॉफी काम मिलती है। धनपालने आजा मोजकी आज्ञासे तिलकमंजरी नामका गद्यकाव्य रचा । मृञ्जने उसको सरस्वतीकी उपाधि दी थी । इन दो पुस्तक के सिवा एक समूहुत-घ मी उसने बनाया था। परन्तु चढ़ अब तक नहीं मिला। (1) Tad Ant, Vol XIV, P 180 १०३