पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१४३

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

मारतके मीचीन ज्ञईग्नहै । अपने भर्तत्र भोज पर मुअ यहुत पीति थी । इससे उसने उसको अपनी युवराज चनामा था । तैला और उसके सामन्तके लेखोंसे माँ' पाया जाता है कि जैनुपर्ने | मुन्नको मारी या, जैसा कि प्रवन्याचन्ताम[कारने लिखा है। परन्तु | मैरुजुड़ने वह वृत्तान्त बड़े ही उपसनीय हैंग है दिवा है । शायडू गुजरात और मालवाके रामाजोंमें वंशपरम्पराले सता रही हो । इससे शाय प्रबन्धचिन्तामणि लेखकनै मुञ्जकी मृत्यु आदिका वृक्षान्त उत्त तरह लि हो ।। माळवेके लेने, नवस्राक्षाचरितमें और क्राइम-निवासी विल्हण कवि बिकश्चिरितमें मुझक मृत्युका कुछ भी हाल नहीं है। सम्म है, उस दुर्घटनाका झङ्क पानेहीके इरादेसे वह वृत्तान्त न सिंह गया हो। संस्कृत-अन्यों और शिलालेखनं प्रायः अच्छी ही बातें प्रकट की जाती है । पराजय इत्याद्विका क्षेत्र छोड दिया जाता है । परन्तु पिछली | वातका पता विपक्ष और विजयी रानाके लेखोंसे न जाता है। सुका साथै दान था । विद्वानों का बहुत बड़ा माता था । जसके दरबारमें घनपाल, पद्मगुप्त, घनश्य, घनिक, इटाघ आदि अनेक दिदान दें। | मुजी यनाई एक भी पुस्तक अमी तक नहीं मिली । परन्त हर्ष के पुन–यास्पतिराज, मुश र उत्पङ–३ नामसे उधत किये गये अनेक लोक मुमााताव मामक प्रन्स और अलारशास्त्र सुतमें मिले हैं ।। ११} 7 4., Fl , p, 12,-1, 4, Fot. Ti, P11, E .:. Ya. I. P १tB. (६} Ey in, FeL 1, , ,