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भारतके प्राचीन राजवंश-
 

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मारतकै प्राचीन राजवंश हिताय ।। ५, ६.. ... ... ...मान्य बृतान्चराइ ॥ ५ ॥ । घरणीवरह नामका एक चापर्वंशी राजा वर्षमान भी हुआ है । पर उसका समय -संवत् ८३६ (विक्रम-ौंदते ९७१=ईसवी सन् ११४} है। हथूहीके राष्ट्रकूट घरके क्षेत्रका घरीवराह यही परमार धरणवह था । गुजरातके मूलराज द्वारा अपने भगाये जानेपर वह गोचाईके राष्ट्रकूट राजा मालकी शरण गया था। यह घटनी भी यही सिंह ती है ।। राजपूतानेमें धरणीवके नामसे एक छप्पय मी प्रसिद्ध है मंवरग्रर्मठ दुव मतमेर दिनुव । गन्न पूगल गनङ हुन ३ भाप्पभुव । दाद पन्हू अरवद् Tोज राजा ज्ञाघर ॥ गरी घरघाई हु इसू पारकर । गौद किं चनुमा पिर पंवार हा पप्पमा । घरपवाद घर भई झाट घांट , झ्यिा । उम्पयमें लिखा है कि घरवराहने पृथ्वी अपने नो मापने यौट' दी थी । पर यह उपाय पीछेको कल्पना प्रतीत होता है। इसमें प्रसिद्ध नभिङ भाईको अजमेर देना लिखी है। अजमेर अजयब समय असा या । अजयथा समय ११७६ के आसपास है। जुराई पुग्न अगोंराजका एक हेन, विक्रम संवत् ११९६ का लिखा हुआ, जयपुर दौलानाठी प्रान्त जीबग-माताले मान्दै मा हुआ है। अत' घरणीवाके मेयमें अजमेरका होना जरसम्मत्र है।। | ६-महिपछि । | यह घरणींवरहका पुत्र था । उसके पर राज्यभिकार इसे ही मिला । इसकी दूसः नाम देवराज था । वम संयत् १०५९ (इसवी सन् १८९) को इसका एक हो। मिला है।