पृष्ठ:भारत के प्राचीन राजवंश.pdf/१०२

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वैदय-चंश । में जोगमको कृष्णका पुत्र लिखा है । तथा उसके पूर्वके नाम नहीं लिस् हैं। इसी तरह श० सं० ११०० १ वि० सं० १२३५) के तामपन | फन्नमसे बिजल और राजलका, तथा जलसे जगमका उत्पन्न होना | लिखा है। इस प्रकार करीब करीब ऐक ही समयके लेख और तालपत्राने दिये हुए जोगमके पूर्वजके नाम परस्पर नहीं मिलते हैं। १-जोगमे । | इसके पूर्ण नामोंमें गड़बड़ होनसे इसके पिताका फ्या नाम था यह ठीक ठीक नहीं कह सकते 1 वसके पुत्रका नाम पैभडि( परमदि) था। २ पैमोडे ( परमादि)।। | यह नगमका पुत्र और उत्तराधिका था । श० संवत १०५१ ( धर्तमान ) १ वि० सं० ११८५-३० सं० ११२८ ) में यह विद्यमान था। यह पाम सोलंकी राजा सोमेश्वर तीसरेका सामन्त था। तुईदाडी जिला ( बीजापुरके निकट ) उसके अधीन था । इसके पुत्रको नाम मिडदेव था । ३-विज्जलदेव । । | यह पूर्वक सोलंकी राजा सोमेश्वर तीसरेके उत्तराधिकारी जमदेकमल्ल परेका सामन्त था ! तथा जगदेकी मुझे वाम उसके। छोटे भाई और उत्तराधिकारी तैल १ तैलप ) तीसरेको सामन्त हुआ। तेल ( शैलप ) करने उसको अपना सेनापति बनाया । इससे विजलका अफर चहा माया 1 अन्समें उसने तैलपके दूसरे सामन्तको अपनी तरफ मिलाकर उसके कल्याण राज्य पर ही अधिकार कर लिया । ० सं० ११५९ (वि० सं० १२१४) के पहले टेसमें विज्ञको महामण्डलेश्वर लिया है। यद्यपि ० सं० १९४९ से उसने अपना राज्य-- | (1) spin. A, B, , Yal STI, F, 3gp, Ied. A. . ? T,