भारत की एकता का निर्माण स्तान को लड़ना हो, तो लड़ें। लेकिन किसी ढंग से लड़ें, तब तो ठीक बात है । यह इस तरह का लड़ना भी क्या है ? वहाँ कई हमारे आर० एस० एस० वाले लोग थे । उनको भी मैंने समझाया कि हिन्दुस्तान का बोझ तो आप लोगों को ही उठाना है । हम लोग तो अब जरित हो गए। हमने तो आजादी आपके लिए पाई है । यह आप क्या कर रहे हो ? सब समझ गए । सबने मुझसे बायदा किया। उन्होंने कहा कि यह काम हम करेंगे। आप बेफिक रहें । मैं चला आया और मुझे खुशी हुई कि उसके बाद हमारे सिक्खों और हिन्दू भाइयों ने बहुत अच्छे ढंग से काम किया, और सब को जाने दिया। निकलते-निकलते एक महीना डेढ़ महीना लग गया। लेकिन सब चले गए। उधर से भी बाकी के सब चले आए। आज सिक्ख और मुसलमान के बीच में इतना जहर फैला हुआ है कि मुसल- मान सिक्खों का चेहरा भी नहीं देख सकते। वे उन्हें बर्दाश्त नहीं कर सकते है। सिक्खों ने मुझे जो कोल दिया था, यदि उन्होंने उसका पूरा-पूरा पालन न किया होता तो आज न हिन्दुस्तान रहता, न पाकिस्तान रहता । इसमें मुझे कोई शक नहीं है । लेकिन फिर भी उन्हें बदनाम किया जा रहा है । अब उनको बदनाम करना कोई अच्छा काम तो नहीं है। कम-से-कम उससे ज्यादा तो मैं नहीं कहूँगा। आप ही देख लीजिए कि कराची में क्या हुआ। थोड़े दिन हुए, वहाँ सिक्खों के गुरुद्वारे पर हल्ला किया गया। गुरुद्वारे में बहुत- से सिक्ख जमा थे । वे शिकारपुर, सक्खर आदि शहरों तथा वहाँ के देहातों से आए थे। पाकिस्तान की पुलिस ही उन्हें वहाँ लाई थी! बाहर भेजने के लिए, हिन्दुस्तान में भेजने के लिए। और हम चाहते थे जल्दी उनको यहाँ ले आएँ। लेकिन वहाँ गुरुद्वारे पर ही उनको कत्ल किया गया। उसपर हल्ला किया गया । और उसके बाद सारे कराची में जितने हिन्दू लोग रहते थे, उनके मकानों की लूट-पाट शुरू हुई । अब वहाँ न हिन्दू रह सकते हैं न - सिक्ख । में तीन महीनों से कह रहा हूँ कि कराची में हिन्दू नहीं रह सकता। हैदराबाद में, कराची में, या सिन्ध में, कहीं भी हिन्दू और सिक्ख नहीं रह सकते। हमें आपस में बैठकर दोनों गवर्नमेंट के बीच में समझौता कर सब को यहाँ ले आना चाहिये । जब में यह कहता था, तो मेरा सब विरोध करते थे कि यह तो मुसलमानों की या पाकिस्तान की बदनामी करते हैं। मैं बार-
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