पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३८३

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३५० भारत की एकता का निर्माण चले जा सकेंगे। क्योंकि सारा हिन्दुस्तान खुला पड़ा है। हिन्दोस्तान के हर प्रान्त में और हर मैदान में आप जा सकते हैं। पहले आप अपना काम संभालना चाहें तो और बात है। एक बात यह भी ख्याल करने की है कि आपकी आमदनी का पांच से छ: करोड़ रुपया पुलिस के अपर खर्च होता है । यह खर्चा बहुत है । हमारे पास तुंगभद्रा के प्रोजेक्ट हैं, गोदावरी के प्रोजेक्ट हैं, और प्रोजेक्ट भी है। अगर जल्दी से उन पर अमल हो सके, तो अनाज का कोई टोटा नहीं रहे। तब आप हिन्दुस्तान भर को रूई दे सकते हैं, अनाज दे सकते हैं। तो अब हमें इतना खर्चा क्यों करना पड़ता है ? यदि हमारी कांग्रेस ताकतवर हो, या हैदराबादी लोग समझदार हों, तो ये गुनाह यहां क्यों होते ? अगर आप यह समझते हों कि हमारी जवाबदारी नहीं है, सिर्फ पुलिस की है, तो आप गलती पर हैं। एक तरफ़ तो अब पुलिस की जितनी जिम्मेवारी है, यहां की पुलिस उसे निभा नहीं सकेगी। तो बाहर से में पुलिस लाऊँगा। मद्रास से, मैसूर से, यू० पी० से या सी० पी० से लाऊँ ? इतनी पुलिस मुझे बाहर से लानी पड़ी है । बाहर से जो लोग आए, उनमें सब लोग देवता नहीं है, यह तो मैं भी जानता हूँ। फिर भी बाहर वाले अफसर आप को तंग करने या बेइज्जत करने नहीं आए हैं। आप अपने काम के लिए जल्दी तैयार हो जाइए। लेकिन यह सारा ढांचा ही बिगड़ जाए, ऐसा काम नहीं करना चाहिए । वहां रायपुर में गोली चलानी पड़ी। बाहर अखबारों में छपा कि वहां फूड राएट ( रोटी का दंगा ) हुआ। यह फूड राएट नहीं था, भूखमरों का राएट नहीं था। रायपुर के गोदामों में तो दो महीने की खुराक पड़ी है । लेकिन लोगों की यह गलती हमें मससूस करनी पड़ेगी, कबूल करनी पड़ेगी। हम जो दुकान से माल लाने के लिए राशन कार्ड देते हैं, वह एक आदमी को एक ही कार्ड दिया जाता है। रायपुर में लोगों ने बहुत गड़बड़ी की। जिसके घर में चार आदमी थे, और वह झूठमूठ चौदह आदमी का कार्ड ले गया। तो और लोग भूखे मरेंगे और इधर अधिक खर्च से उतना करजा हमारे ऊपर हो जाएगा । औरों के हिस्से का अनाज हमें वहां देना पड़ेगा। तो रायपुर में यह हुआ कि अनाज के कोटे के बहुत से गलत कार्ड बनवा लिए गए । उनको ठीक करने में कोई गलती भी शायद हुई हो। लेकिन गलती हुई तो आप लोगों को अपनी सरकार के भेम्बरों के पास जाना चाहिए था। लेकिन वहां दुकानें बन्द करना, हल्ला करना,