पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३७९

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भारत की एकता का निर्माण में भी हो, लेकिन हमारा धर्म है कि हम मुसलमानों को उनका पूरा हक दें और उनका पूरा राशन दें। यह बखेड़ा अगर एक जगह पर होता है, तो उसका असर कितनी ही जगहों पर होता है। इस तरह जो एक्शन और रिऐक्शन (क्रिया और प्रतिक्रिया) होता है, उसके रोकने की कोशिश में ही हमको बहुत मुसीबत बढ़ गई है। उन पर भी यही मुसीबत होगी। मैं नहीं कहता हूँ कि उनपर नहीं होगी। लेकिन उन्होंने अपना काम इस तरह से कर लिया कि उत्तर पाकिस्तान में दूसरी कम्यूनिटी ही नहीं रही । लेकिन इस तरह से तो मुहब्बत की बात नहीं हो सकती। मेरी राय तो यह है, और मैं मानता हूँ कि आखिर में सब की यही राय होनेवाली है कि जो हिन्दू अपनी-अपनी जगह पर फिर से लौट आना चाहें, उन्हें लौट आने दें। उनकी मिलकीयत उनको वापस कर दी जाए। इसी प्रकार जो मुसलमान इधर से गए, वे अपनी जगह पर लौट आएँ। चाहे लायकअली भी लौट आना चाहे, तो मैं उसको हजम करूंगा, वह आ जाए। क्योंकि इधर तो हमारी किसी के साथ मित्रता या दुश्मनी नहीं है । पहले वह समझा होगा कि उसी प्रकार हैदराबाद का कल्याण है । अब इसका अनुभव उसने कर लिया है कि हैदराबाद के मुसलमानों को उससे कितना फायदा मिला और उनका क्या हाल हुआ। जिन लोगों को पाकिस्तान में रहना है वे खुशी से वहीं रहें। लेकिन जो जाना चाहें, उसके आने जाने के लिए दोनों ओर से रास्ता खुला रखना चाहिए और इस बात की व्यवस्था दोनों तरफ से होनी चाहिए। तब तो यह काम हो सकता है। नहीं तो फिर अलग-अलग दो मुल्क तो है ही। चाहे मुहब्बत करने के लिए तैयार न हों, तो भी यह बात तो नहीं करनी चाहिए कि वह हमारा पड़ोसी हमारा दुश्मन है । में हैदरावाद के मुसलमानों से यह कहना चाहता हूँ कि हमें हैदराबाद की सल्तनत का सैन्सस (जन गणना)लेना होगा। उससे आपको मालूम हो जायगा कि हैदराबाद में मुसलमानों की आबादी पिछले सैन्सस की अपेक्षा कितनी है । हमने कितने मुसलमानों को इधर से निकाला ? ऐसी सिच्यूएशन (स्थिति) पैदा हुई, जिसमें कितनों को भागना पड़ा? इपर कोई ऐसी परिस्थिति पैदा करने की हमारी ख्वाहिश नहीं है कि इधर से लोगों को भागना पड़े। और न यह हमारा धर्म है । हमारा धर्म ऊँचा है । जो मुसलमान इधर हैं, उनका हमें पूरा विश्वास करना चाहिए। यहाँ के मुसलमानों को भी समझना चाहिए कि हम हिन्दुस्तान के सिटि- ।