पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३७४

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

हैदराबाद देहात का रहनेवाला तो अपने पड़ोसी के साथ मोहब्बत से रहता था, उनके साथ घूमता-फिरता था। अब जो कुछ हो गया, सो हो गया। अब फिर से मोहब्बत की कोशिश करने का वक्त आया है। ऊपर से अब शान्ति है । लेकिन मेरा बोझ हटा नहीं है । आज भी हिन्दुस्तान में हिन्दू-मुसलमान का बखेड़ा उठ खड़ा होता है। यह जहर इतना घुस पड़ा है कि इसके निकालने में थोड़ा समय लगेगा। आपको शान्ति रखनी चाहिए। दोनों कौम के बीच में जो समझदार आदमी हैं, उनको शान्त रह कर लोगों को समझाना चाहिए कि भई अगर उधर कोई गड़बड़ हुई है, तो इधर बदला लेने की कोशिश करना एक बहुत बुरी बात है । हमारा तो यह पूरा धर्म है कि हमारा जो शासन है, जिसको सिक्यूलर स्टेट ( धर्म निरपेक्ष राज्य ) कहते हैं, उसमें सबके लिए समान स्थान है। हमें सोच-समझ कर चलना है। लेकिन हम शीघ्रता से चल सकें और हमारे काम में कोई रुकावट न हो, उसके लिए हमें आपका साथ चाहिए। हैदराबाद में रहनेवाले सब हिन्दू और मुसलमानों को समझ लेना चाहिए कि वे हैदराबादी है और हिन्दुस्तानी हैं। वे जब यह समझ जाएँगे, तभी हम आगे बढ़ सकते हैं। मैं आपसे यह भी कहना चाहता हूँ कि हमने जब हैदराबाद स्टेट को अपने हाथ में लिया, तब देखा कि यहाँ करोड़ों रुपये का घाटा पड़ा है। राज्य के पास पहले जो रिजर्व फण्ड था, वह सब-का-सव उड़ गया है और एक बड़ा खड्डा पड़ गया है। क्योंकि हैदराबाद को स्वतन्त्र बनाने के लिए इसी प्रकार का कारोबार और इसी प्रकार का खर्चा यहां किया गया था। लोगों को पैसा दिया गया था। यह सब काहे को किया गया? कुछ अपने कामों के लिए या हैदराबाद की उन्नति के लिए तो किया नहीं गया । जो कुछ किया गया, उस से आज हैदराबाद में आर्थिक स्थिति बहुत बिगड़ी हुई है। वह अच्छी नहीं है और उसको ठीक करना है। हम उसको ठीक करें, तभी काम आगे चल सकता है। हमने तिलक आप लोगों के सुपुर्द कर दिया है। अब आपको स्वयं चलना पड़ेगा। आप देहात में जाइए, वहाँ न कोई अस्पताल हैं, न कोई दवा- दारू का सामान है, न कोई पढ़ाई का सामान है । वहाँ खाने पीने की भी तकलीफ़ है । तो लोगों को, जनता को, आज भी मालूम नहीं पड़ा होगा कि राज्य में क्या फर्क आ गया है । सब चीजें नए सिरे से बनाने का बोझ तो आपके कपर पड़ेगा। हिन्दुस्तान की सरकार की हालत भी ऐसी ही है । क्योंकि जब