पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३४७

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भारत की एकता का निर्माण है। अगर आप मेरा साथ दें, तो यह काम बन सकता है। तो में आपका साथ इस तरह से चाहता हूँ कि इतनी पुलिस हमें मीटिंग के लिए न रखनी पड़े । क्या ज़रूरत है इसकी? लेकिन आज में घर से बाहर निकलूं, तो मेरे पोछे पुलिस लगेंगी। अपनी जिन्दगी भर मैंने अपने पीछे पुलिस को नहीं देखा था । हो, छिी-छिपी पुलीस मेरे पीछे ज़रूर रहती थी। यह देखने के लिए कि यह क्या करता है । लेकिन अब तो यह सावधानी रखने के लिए मेर पीछे पुलिस है कि कौन मुझको मारनेवाला है । आखिर मुझको कौन मारने- वाला है ? लेकिन आज हालत कुछ ऐसी हो गई है कि हमारे कई नौजवान कुछ-न-कुछ अपने दिमाग से हट गए हैं। सभी जगह पर ऐसा नहीं हुआ। बहुत- से तो अभी तक अपना मनुष्यत्व ठीक रखते हैं। लेकिन जो बिगड़े हैं, वे गुस्से में भी है। उनको ठीक करना हमारा काम है । में कितनी भी कोशिश करूँ कि यह पुलिस हट जाए, यह नहीं मानती। आज मीटिंग में भी इतने लाखों लोगों को जमा करना था, तो पुलिस भी आई। असल में हमें देश की आबोहवा बदलनी चाहिए। तो इस मीटिंग की बात छोड़कर में दूसरी बात पर आता हूँ। हमारे देश का धन हमारे उद्योग ( इण्डस्ट्री) से ही पैदा होता है। उसको ठीक चलाना हो तो हमारे मजदूर वर्ग को अच्छी तरह से समझाना चाहिए कि उनका जितना हक है, उतना उनको दिलाना हमारा काम है। जो मालिक लोग है, जो एम्प्लायर्स हैं, वे इस समय अपनी बुरी नीयत छोड़ दें, काला- बाजार न करें, प्रोफिटियरिंग ( नफाखोरी) न करें और मुल्क का ध्यान कर ज्यादा नफा लेने की आदत छोड़ दें। उन्हें चाहिए कि वे मुल्क का साथ दें। मैं उन्हें समझाना चाहता हूँ । नौजवान कहता है कि नहीं, इस तरह से नहीं हो सकेगा। जो चीन में हुआ, उसी प्रकार यहाँ भी करो। चायना में क्या हुआ, इसे तो मैं नहीं जानता। लेकिन मैं आपसे यह कहना चाहता हूँ कि रूस में भी जब क्रान्ति हुई थी, तो आज के रूस की रचना करने में, आज जैसा उन्नत रूस बनाने में, उसको ठीक करने में, उन्हें बहुत काफी कुर- बानी करनी पड़ी थी, बहुत काफी मेहनत करनी पड़ी थी। आज दुनिया में सब से अधिक धनवान मुल्क अमेरिका है। लेकिन अमेरिका जब आज़ाद हुआ तो उसका पहला कांस्टीटयूशन बनाने में सात साल लगे थे । हमारा मुल्क भी तो बहुत बड़ा है। लेकिन हमने तीन साल में ही, इतनी मुसीबतें होते हुए भी, 2