पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३२९

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३०० भारत की एकता का निर्माण उनका भी साथ हमें चाहिए । रात-दिन उनके साथ हम लड़ते ही रहें, तो उससे हमारा काम नहीं चलेगा। इन उद्योगों में मजदूरों और कारखाने के मालिकों का मिश्रण होना चाहिए। यह हो सकेगा, तभी हमारे देश के कारखाने सफ- लता पूर्वक चल सकेंगे। कुछ लोग कहते हैं कि बाहर से धन लाओ। बाहरवाले कहते हैं कि अगर हम आपके मुल्क में धन लाएंगे तो उससे पहले यह देंखेंगे कि उससे फायदा कितना है, वे अपनी-अपनी शर्ते भी लगाना चाहेंगे। यह भी एक बड़ी मुसीबत है । इस मुसीबत में जो काम करना है, उसमें छोटी-छोटी मुसी- बतों से नहीं घबराना चाहिए । में यह कबूल करता हूँ कि बम्बई में जितने कांग्रेस के साथ देनेवाले लोग थे, करीब-करीब उनका रोजगार भी चला गया । जो मध्यवर्ग के लोग थे, उनका ब्यापार भी टूट गया। क्योंकि हरेक प्रकार का कण्ट्रोल आया तो नए-नए लोग खड़े हो गए। उसमें जो बाकी रोज़- गार करनेवाले लोग थे, वे भी कुछ बदनाम हो गए। उनके नौकर-चाकर, गुमाश्ते सब बेकार बैठे हैं । कई लोग हमें गाली भी देने लगे। मगर वह बेबकूफी की बात है। इससे किसी का कोई काम नहीं चलेगा। कुछ लोग कहते हैं कि हमें जल्दी से जल्दी कण्ट्रोल खत्म कर देने चाहिए, जिससे हमारा काम चले। उनका कहना है कि कण्ट्रोल खत्म होगा, तभी हमारे काम में प्रगति होगी। परन्तु व्यवहार में हमने थोड़ा कण्ट्रोल हटाया ही था कि नफा करने को कुछ लोग जल्दी-जल्दी वहाँ पहुँच गए। तो आज यहाँ जो कुछ हो रहा है, हमारे मुल्क में आज जितनी बेचैनी, बदनामी और झगड़ा है, वह सब क्रान्ति का एक नतीजा है। एक गुलाम मुल्क को आजादी तो मिली है, मगर गुलामी का असर अभी तक उस पर से नहीं गया । जब चरित्र बिगड़ा है, तो कण्ट्रोल कहाँ चल सकता है ? बहुत-से लोग कहते हैं कि कण्ट्रोल में बड़ी घूसखोरी होती है । उसका उपाय क्यों नहीं करते ? ठीक है। मगर जब घून देनेवाले और घूसखोर मिल जाते हैं, तो उन्हें पकड़ना आसान नहीं होता। उसका उपाय क्या है ? इसका उपाय तो यही है कि घूसखोर जब कायदा-कानून से पकड़ा जाए, तो उसको सजा हो । लेकिन उसके लिए भी तो आपका साथ चाहिए, जनता के सशक्त सह्योग के बिना यह दुराचार किस तरह रुक सकता है ? आज बहुत-से लोग कहते हैं कि यह पुलिस अपना काम क्यों नहीं करती.?