पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/३०३

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२७६ भारत की एकता का निर्माण चलाया करती थी, तब तो आप कह सकते थे कि वह बुरा काम करती है। लेकिन आज जो राज करनेवाले लोग हैं, वे तो आपके अपने प्रतिनिधि हैं। यदि आपको वे नापसन्द हों, तो उन्हें बदल दो। लेकिन जनता आपके साथ नहीं है, फिर भी आप जनता की लोकप्रिय सरकार का विरोध कर रहे हैं ! अगर वे काम छोड़ दें, तो आप तो दो दिन भी काम नहीं कर सकेंगे। फिर हिन्दुस्तान का क्या हाल होगा? यही बर्मा में हुआ, यही चीन में हुआ और यही मलाया में हो रहा है । इस प्रकार का हाल आपको अपने देश का करना है ? क्या हमने स्वराज्य इसीलिए लिया है ? क्या इसमें मजदूरों का कल्याण होगा? तो मजदूरों को यह समझ लेना चाहिए कि हमेशा मिल-मालिकों के पीछे पड़ने से उन का काम नहीं होगा। जिस हद तक पीछे पड़ने की ज़रूरत थी, हम उनके पीछे पड़ चुके हैं, जब और जरूरत होगी तो और भी हम करेंगे। लेकिन हमें अपना साँचा स्वच्छ रखना है और देश की मशीनों से जितना अधिक से अधिक काम निकल सके, निकालना है। ईमानदारी के साथ अपना काम पूरा कर शाम के समय आप को अपने घर वापस जाना है, शराबखाने के रास्ते नहीं जाना है। जो कुछ आपने पैदा किया है, वह शराब की दुकान पर दे देना, इसी तरह है, जैसे आप ने कुछ भी न कमाया हो । तव आपको पैसा मिला न मिला, बराबर है। बल्कि वह तो उससे भी बुरा है, क्योंकि शराब पीकर जब वह घर जाएगा तो अपनी औरत और अपने बच्चों को बेहाल करेगा, तंग करेगा, मार-पीट करेगा । उससे क्या फायदा? वह सब हमारी हिन्दुस्तान की संस्कृति से खिलाफ है। तो हमारी कोशिश होनी चाहिए कि हमारे नेशनल ट्रेड यूनियन के जो मेम्बर हैं, वे और मजदूरों से अलग मालूम पड़ें, उनका रंग ढंग अलग हो, हमें इस प्रकार की संस्था बनानी है । और वहां मजदूर बस्ती में अपने बच्चों के खेल कूद के लिए, मजदूर-परिवारों के दवा-दारू के लिए, बच्चों के शिक्षण के लिए, अच्छा, प्रबन्ध हो, वह सब करना हमारा काम है । मैं आपको मुबारकबाद देना चाहता हूँ कि आपके १७,००० मेम्बर हैं । इधर कुल ३० या ३२ हजार मजदूर हैं, उनमें से १७,००० आपके मेम्बर हैं, यह ठीक है, बहुत अच्छा है। दो दो रुपया देकर आप स्वागत समिति के मेम्बर बने और अपने हाथ की मेहनत से यह सारा इन्तजाम किया । यह स्वावलम्बन और स्वराज्य का एक शिक्षण है । जो काम करता है। हाथ-पैर चलाता है और कुछ नई बात मेहनत करके दिखाता है, वह स्वराज का