पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२९६

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peep राष्ट्रीय मजदूर संघ का दूसस अधिवेशन काम करने लगे। यदि इन्दौर में से भी कोई भाई आए होंगे और वहां शिक्षा ली होगी, तो उन्हें भी उस का अनुभव होगा। इन्दौर में जो संगठन चलाता है, उसने अपनी शिक्षा वहां ही से पाई है । उसका तो जन्म ही से पूरा सम्बन्ध अहमदाबाद के संगठन से है । अब सारे हिन्दुस्तान की सत्ता हमारे हाथ में आई है । आप लोगों को मालूम ही है कि सन् १९४२ में हमने एक आखिरी लड़ाई ब्रिटिश सल्तनत के साथ हिन्दुस्तान की आजादी के लिए लड़ी। इस लड़ाई के सिलसिले में जब हम लोग जेल में गए, जब गान्धी जी को जेल में डालें जाने पर अहमदाबाद के मजदूरों ने जो काम करके दिखाया, उतना काम हिन्दुस्तान भर में कम लोगों ने दिखाया था । कोई अण्डर ग्राउण्ड चले गए, कोई हवा में चले गए, कोई और जगह पर चले गए, लेकिन अहमदाबाद के इन मजदूरों ने जो काम किया, वैसा काम और लोगों ने किया होता, तो हमारा काम तीन महीनों में खत्म हो जाता और इसमें तीन साल न लगाने पड़ते। आज कई लोग कहते हैं कि वह मजदूर संगठन कैसा है, जो हड़ताल के खिलाफ है ? सचमुच आज हम लोग हड़ताल के खिलाफ हैं । लेकिन जब हड़तालें करने का मौका था, तब इन लोगों ने तीन महीने तक हड़ताल की थी। जब गवर्नमेण्ट के साथ लड़ना था, तब वे सब लोग भाग गए थे और हमने हड़ताल की थी। आज जब मुल्क में हड़ताल की ज़रूरत नहीं है, तब वे हड़ताल हड़ताल चिल्लाते हैं। इस तरह से हम लोग काम नहीं करते । तो मैं आपसे यह कहना पाहता हूँ कि जैसा शिक्षण, राष्ट्रीय शिक्षण, और जैसा सही संगठन अहमदा- बाद में मिलता है, और जगह नहीं मिलता। आज हमारे पास देश की पूरी सत्ता आई है, कांग्रेस की गवर्नमेण्ट बन गई है और परदेशी सल्तनत देश से चली गई है, तो हालत बदल गई है। यह देश के राजा-महाराजा, जिनके पास सत्ता थी, उन्होंने भी जनता से कह दिया कि अब तुम शासन चलाओ, तो इन कारखाने के मालिकों के साथ लड़ने की बात ही क्या रह गई है। आज हमारे मजदूरों के मिलमालिकों से कोई शिका- पत हो तो उन्हें हमारे पास आना चाहिए । जो कुछ उन्हें लेना है, वह हम से लेना है, कारखानों के मालिकों से भला क्या लेना है । क्योंकि सत्ता तो अब हमारे पास है । पुलिस हमारी है, सारी फौज हमारी है, सारा खजाना हमारा है । कौन सी चीज़ अब मिल मालिकों के पास है कि जिसके लिए आप फहते हैं कि हम उनसे लड़ेंगे और हड़ताल करेंगे। हां, अब भी जो हड़ताल कनाते - 1