पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२७१

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आए, २४८ भारत की एकता का निर्माण में यह हिम्मत है । और अगर आप तै कर लें, तो जैसा लाहौर था, पंजाब में कई दूसरे शहर थे, मिंटगुमरी का बागीचा था, और भी कितनी ही जगहें थीं, वैसे शहर और बैसी जगहें आप यहाँ भी बना सकते हैं। क्योंकि आप में इतनी हिम्मत है, आप में ऐसी ताकत है। मैं मानता हूँ कि जैसी आफत आप पर पड़ी, दूसरे उसे बरदाश्त न कर सकते और पागल हो जाते । कोई और होता, तो हिन्दुस्तान को उठने ही न देता। जो बहादुरी आपने दिखाई है, उसके लिए मैं आपको सच्चे दिल से मुबारकबाद देता हूँ। आपने कितना दुख उठाया है । लेकिन आपने जिस तरह इतमीनान और हिम्मत से काम करके दिखाया है, हमें कम-से-कम परेशान किया है, उसके लिए भी मैं आपका शुक्रिया करता हूँ। हां, हम कुछ कर नहीं सके । जब पंजाब से भागे हुए रिफ्यूजी तो मैं उन्हें रिफ्यूजी नहीं मानता। मैं अब भी उन्हें हिन्दुस्तान के सर पर बैठने वाले कहता हूँ। लेकिन लोग भागे-भागे आए, जहाँ भी उन्हें जगह मिली चले गए। लेकिन जिस सूबे में वे इज्जत से नहीं रह सकते थे, उसे उन्होंने खुद छोड़ दिया । यह बहादुरों का काम है और आपने यह काम किया। लेकिन हम ऐसी हालत में पड़े हैं कि जिस तरह आप की मदद करनी चाहिए थी, उतना हम नहीं कर सके । लेकिन आपने इसे भी बर- दाश्त किया, इसलिए आपका धन्यवाद । आपको बहुत बड़ा जख्म लगा और उसमें से इतना खून बह गया कि अब इसमें हमें नया खुन डालना है। हमारा धर्म है कि हम पंजाब को ठीक कर लें और जो कुछ गया है, उसको भूल जाएँ। अब मैं आपके सामने कुछ और बातें रखना चाहता हूँ। हमारे साथी, हमारे अकाली दल के नेता मास्टर तारासिंह हैं। हमें अफसोस है कि हमें उन्हें जेल में रखना पड़ा। जो चीज हम बनाना चाहते हैं, वह उसे तोड़ते हैं। उनके दिमाग में यह बात बैठती नहीं। मैं यहाँ बैठकर अकाली लोगों से प्रार्थना करना चाहता हूँ। मैंने सदा पंजाब का साथ दिया है और अब भी साथ देना चाहता हूँ। इससे क्या फायदा कि तुम्हारी तलवार हमारी गर्दन पर बनी रहे । जब तक हिन्दुस्तान के सिपाही मेरे पास हैं, मुझे हिन्दुस्तान की रक्षा करनी है । में पंजाब को ठीक हालत में देखना चाहता हूँ। मैं अकाली भाइयों से हाथ जोड़ कर प्रार्थना करता हूँ कि ठीक रास्ते पर चलो और हमारा साथ दो। मास्टर तारासिंह को भी समझाओ । इस तरह काम नहीं चलेगा । जब तक हम