पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/२२१

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

२०० भारत की एकता का निर्माण गरीब वर्ग के मर्द-औरतों के सम्मान में दी है, जिनकी सेवा करने का गौरव मुझे मिला है। जब पिछले साल हमारे राष्ट्र के नेता हमारे प्रधान मन्त्री ने आपके कन्वोकेशन में प्रवचन दिया था उस समय बड़ी अदल-बदल और उथल-पुथल हो रही थी। पंजाब में जो कांड हुए थे, उनकी बाढ़ में तो हम लगभग वह ही गए थे। तब हमारी बुद्धि संदेह और निराशा से मलिन हो गई थी और हमारे दिलों पर शोध और बुरी भावनाओं का राज्य था। प्रधान मन्त्री ने उस समय कुछ खास उद्देश्यों का जिक्र किया था और हमारे सामने चाल-चलन जैसे नियम रखे थे। उस समय वह फैली हुई शक्तियों पर विजय पाने का मार्ग बताते थे । आज सौभाग्य से हम उस काली घड़ी में से निकल आए हैं, जो कि आजादी पाने के इतनी जल्दी बाद ही निर्मम विधि में हम पर डाली थी। हमारे इतिहास में हमको यह सबसे भारी धक्का लगा था । मगर अपनी सच्ची अन्तर्भावना और सच्ची श्रद्धा के बल से हमने उसे सहार लिया। कभी- कभी ऐसा मालुम होता था कि हमारी आजादी का आधार ही भारी खतरे में पड़ गया है। फिर भी उसे हमने जिस किसी तरह सँभाल लिया था। आज मैं बड़ी गम्भीरता से आपसे पूछता हूँ कि क्या हमने उस आजादी का असल मतलब समझा है, जो वर्षों की कोशिशों के बाद और इतने दुख झेल कर हमने पाई ? क्या हमने अपने आपको इस काविल बनाया है कि आज़ादी के साथ जो जिम्मेदारियां हम पर आ गई हैं उन्हें हम निभा सकें ? में चाहता हूँ कि आप गम्भीरता से इस बात को सोचें कि क्या हमारे चलन में आजादी के प्रेमियों की सच्ची भावना पाई जाती है ? क्या हम अपने कर्तव्य और अनुशासन का ध्यान रखते हुए उसी तरह काम कर रहे हैं, जैसा कि हम उस समय करते थे, जब हम आजादी की लड़ाइयाँ लड़ रहे थे ? आप में से हर एक को यह देखना चाहिए कि आजादी ने हमारे लिए क्या-क्या समस्याएं खड़ी कर दी हैं और आप उन्हें हल करने में क्या मदद कर रहे हैं। अगर हर एक देशवासी अपना फर्ज अदा करने लगे तो राष्ट्र उन सम- स्याओं को पक्के और असरदार ढंग से सुलझा सकेगा। अनुभव से सीखना बड़ा महेंगा पड़ता है । पर अनुभव से भी अगर हमने कुछ न सीखा, तो निश्चय ही हम बरबादी और तबाही की ओर चले जाएंगे । मैं आपको उस लड़ाई की कुछ बातें बताने लगा हूँ, जिसके अन्त में हमने