पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१७८

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1 चौपाटी, बम्बई तो हम मुसलमानों के साथ धोखाबाजी कैसे कर सकते हैं ? हमने वादा किया है कि अगर वह हिन्दुस्तान में रहना चाहते हैं, तो हिन्दुस्तान स्वार ही बयों न हो जाए, हम उनका साथ नहीं छोड़ेंगे। इस तरह से जब काश्मीर की प्रजा, हिन्दू और मुसलमान दोनों और वहाँ का राजा चाहता है कि बह हिन्दुस्तान में रहें, तो इंग्लैण्ड में रहने वाले टोरी हों या लिबरल, या कोई और शक्ति हो, उसे बीच में पड़ने का कोई अधिकार नहीं है, और न हम किसी की सुनेंगे । कोई चाहे लाख कोशिश करे । हमें बड़ा अफसोस होता है कि हिन्दोस्तान के हर मामले में, वह जहाँ चाहते हैं, दखल देते हैं। इसलिए मैं साफ कर देना चाहता हूँ कि जब तक यह लोग नहीं समझेंगे कि हिन्दुस्तान अब आजाद है, तब तक हमारा उनका साथ रहना बहुत कठिन है। हम उनकी भी मुहब्बत चाहते हैं, क्योंकि हम दुनिया भर की मुहब्बत चाहते हैं। मगर मुहब्बत इन तरीकों से कायम नहीं रहती । यदि इसी तरह हमारी आन्तरिक व्यवस्था में दखल दिया गया, तो हमारे सामने यह प्रश्न होगा कि हम अपनी व्यवस्था कैसे करें। लोग कहते हैं हमें कॉमनवेल्थ में रहना चाहिए। खैर, अब तो हमारे प्रधान मन्त्री वहाँ गए हैं। वह जब आएँगे, तो सब चीज़ हमारे सामने रखेंगे। तब हम देखेंगे कि हिन्दुस्तान के हित में क्या चीज़ है। हमारे सामने पहला सवाल यही रहेगा कि हिन्दुस्तान की भलाई की दृष्टि से जो बात ठीक हो, वहीं की जाए। यदि चचिल का यह ख्याल है कि हिन्दुस्तान को बचाने वाला वही है, तो मेरा कहना यह है कि उसको भी यह फैसला कर लेना चाहिए कि अपने इंग्लैण्ड को बचाएँ । क्योंकि वे दिन अब चले गए। वह खुमारी और वह मगरूरी के दिन अब चले गए । आज दुनिया दूसरी तरह से चल रही है । अगर सारी दुनिया एक दूसरे के साथ मिल कर मुहब्बत, सचाई और इन्साफ से नहीं चली, और दुनिया के देश गान्धी जी के बताए रास्ते पर न चले, तो दो लड़ाई तो यह दुनिया जिस किसी तरह बर्दाश्त कर सकी, पर तीसरी बरदाश्त न कर सकेगी। दुनिया खत्म हो जाएगी। दुनिया का नाश हो जाएगा। इस तरह से किसी का काम नहीं चलेगा। दूसरी एक बड़ी चीज यह है कि हमारे ऊपर जो पाकिस्तान के कारण आपत्ति आई, उसे हम भूल नहीं सकते। इससे दुनिया भर में हमारी बदनामी हुई, यह भी हम नहीं भूल सकते । लेकिन उससे ज्यादा जो हमारे ऊपर भा०११