पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१७

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१४ भारत की एकता का निर्माण खबर देखी, जिस से मुझे बड़ा दर्द हुआ। मैने अखबार में देखा कि इधर एक छोटी-सी रियासत बिहार और उड़ीसा में पड़ी है, उस रियासत में गोली चली और उसमें बत्तीस या तेंतीस आदमी मर गए, कुछ घायल भी हुए। यह बहुत बुरा हुआ । यह सब किस लिए हुआ? यह छोटी-सी रियासत बिहार में हो या उड़ीसा में, यह उसके लिए झगड़ा था। जब वे हमारे पास आए थे तो हमने कहा था कि भई, उसका फैसला हम एक कमीशन बैठा कर करेंगे। जो कमीशन कहेगा, उसकी जाँच कर फैसला करेंगे । आज जो कुछ फैसला हमने किया है, वह तो आरजी फैसला है । इस आरजी फैसले के लिए किसी को झगड़ा नहीं करना चाहिए था । मगर झगड़ा हुआ और गोली चली। अब हमको स्वराज्य तो मिला । लेकिन दोनों प्रान्तों में, जहां हमारी हुकूमत है, प्रजा अपना काम इस तरह करे और अमलदार वर्ग को गोली चलानी पड़े, तो यह बहुत बुरी बात है । अब इधर कलकत्ते में असेम्बली के दरवाजे पर गोली चलानी पड़े, तो फिर इस तरह राज करने से क्या फायदा? तब तो राज करने के लिए और लोगों को तैयार होना चाहिए। जिसको राज चाहिए, उसे अगर हमारी जनता राज दे दे, तो उसको इन्तजार करने की कोई जरूरत नहीं। लेकिन एक बात आप समझे। में इस बात का आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि हम लोगों ने कभी हुकूमत नहीं की है और कलकत्ता में भी जो हमारा प्रधान मण्डल बैठा है, उन लोगों ने भी कभी कोई हुकूमत नहीं चलाई। उनके पास सरकार चलाने का अनुभव तो नहीं है। लेकिन एक बात उनके पास है और वह यह कि ये जनता के प्रतिनिधि है। बहुत दिनों के बाद जनता के प्रतिनिधियों का प्रधान मण्डल बना है। उनके खिलाफ कोई शिका- यत नहीं कर सकता कि वे लोग कोई रिश्वत लेकर काम करेंगे, या किसी काम में खामख्वाह बिगाड़ करेंगे। तो जिसका जितना दिमाग चलेगा, उतना ही काम वह करेगा। लेकिन हमारा प्रधान मण्डल किसी बुरी नीयत से कोई काम नहीं करेगा । उसमें मैला काम करनेवाला कोई नहीं है । तो अनुभव ही काम सिखाएगा। यदि आपके पास ज्यादा अनुभव है और आप ज्यादा काबिल है, तो आप काम उठा लीजिए। आप जनता की राय से उनको हटा सकते हैं। लेकिन इस प्रकार रुकावट डाल कर आप ऐसा काम करें कि गोली चलाने की जरूरत पड़े, तो यह बहुत बुरा होगा। इस तरह तो न हमारी हुक- मत चलेगी और न आपकी चलेगी। हम लोगों ने ६० साल तक कोशिश करके ।