पृष्ठ:भारत की एकता का निर्माण.pdf/१३१

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मारत की एकता का निर्माण चलते उन्हें भी पूरा अनुभव हो गया। मैं चाहता था कि हम पर कोई दोष न बाए, इसलिए मैंने अपने गवर्नर जनरल से कह दिया था कि ठीक है, हमारी तरफ से आप जितनी कोशिश चाहें, उतनी करो। कभी हमें यह नहीं कहना कि हम ने कोई गलती की, या हमने उदारता नहीं बताई। गवर्नर जनरल ने उनके साथ समझौता करने के लिए जो-जो बातें कहीं, वे सब बेकार हो गई और उन्होंने कह दिया कि वे बातें तो पुरानी हो गई। अब कोई समझौते की बात नहीं होगी। अब हम भी कहते हैं कि अब समझौते की कोई बात नहीं होगी। जैसा मुल्क में और जगह पर हुआ है, वैसा ही इधर भी होगा। मुझे तो ज़रा भी उम्मीद नहीं कि किसी दूसरी तरह से हैदराबाद का फैसला हो सकता है। और राज्यों ने जो कुछ किया है, अगर हैदराबाद भी खुद इसी तरह से करने के लिए तैयार हो, तो हम उनकी इज्जत करेंगे। तब हम उनकी मुहब्बत करेंगे। लेकिन अगर वे डण्डे से, धोके से, या बाहर की मदद की उम्मीद से कोई रास्ता लेना चाहेंगे, तो वह नहीं होगा। हिन्दुस्तान इस तरह से कभी बरदाश्त नहीं करेगा। उस तरह से स्वतन्त्र हिन्दुस्तान जिन्दा भी नहीं रह सकता है। तो हम मानते हैं कि हमने देरी की है । उसमें देरी करने की कितनी वजह थी, वह सब हम अभी आप लोगों के सामने नहीं रख सकते हैं। लेकिन मैं यह एक बात कहना चाहता हूँ कि जो लोग अधीरता करते हैं, उनसे मैं कहना चाहता हूँ कि आप भरोसा रक्खें । आपके दिल में जितना दर्द हैदराबाद के लिए है, हमारे दिल में उससे कोई कम दर्द नहीं है । हैदराबाद की प्रजा पर जो जुल्म हो रहा है, उसके लिए हमारे दिल में बहुत दर्द है। लेकिन जब एक औपरेशन ( चीरा-फाड़ी) करना होता है, तो उसमें कम-से-कम खराबी हो, कम-से-कम खून निकले, इस तरह से उसे काटना चाहिए। आप को विश्वास रखना चाहिए कि हम उसे काटनेवाले हैं। हम उसे छोड़ेंगे नहीं। बहुत दफा हमने हैदराबाद में लाठी चार्ज की बात सुनी है, बहुत दफा अपमान को बर- दाश्त किया है। लेकिन जब वक्त आएगा, तब हम आपको करके बता देंगे। इस तरह नुकसान तो होगा। दोनों तरफ नुकसान होगा। पर उसकी जिम्मे- दारी लिए बिना हम राज्य नहीं चला सकते हैं। आज हैदराबाद राज्य के बाहर जो लोग पड़े हैं, वे वहाँ से हुकूमत चलाते हैं। ऐसे राज्य के साथ हमारा समझौता नहीं हो सकता। अगर राजा के साथ हमें समझौता करना है, तो