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भाग ५
संघ

 

अध्याय १—कार्यपालिका
राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति

भारत का
राष्ट्रपति
५२. भारत का एक राष्ट्रपति होगा।

संघ की कार्य-
पालिका शक्ति

५३. (१) संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी तथा वह इसका प्रयोग इस संविधान के अनुसार या तो स्वयं या अपने अधीनस्थ पदाधिकारियों के द्वारा करेगा।

(२) पूर्वगामी उपबन्ध की व्यापकता पर बिना प्रतिकूल प्रभाव डाले संघ के प्रतिरक्षा बलों का सर्वोच्च समादेश राष्ट्रपति में निहित होगा और उसका प्रयोग विधि से विनियमित होगा।

(३) इस अनुच्छेद की किसी बात से—

(क) जो कृत्य किसी वर्तमान विधि ने किसी राज्य की सरकार अथवा अन्य प्राधिकारी को दिये हैं वे कृत्य राष्ट्रपति को हस्तान्तरित किये हुए न समझे जायेंगे; अथवा
(ख) राष्ट्रपति के अतिरिक्त अन्य प्राधिकारियों को विधि द्वारा कृत्य देने में संसद् को बाद होगी।

राष्ट्रपति का
निर्वाचन
५४. राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक गण के सदस्य करेंगें जिसमें—

(क) संसद् के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य, तथा
(ख) राज्यों की विधान-सभाओं के निर्वाचित सदस्य, होंगे।

राष्ट्रपति के
निर्वाचन की
रीति
[]५५. (१) जहाँ तक व्यवहार्य हो, राष्ट्रपति के निर्वाचन में भिन्न भिन्न के राज्यों का प्रतिनिधित्व एकसे मापमान से होगा।

(२) राज्यों में आपस में ऐसी एकरूपता तथा समस्त राज्यों और संघ में समतुल्यता प्राप्त कराने के लिये संसद् तथा प्रत्येक राज्य की विधान-सभा का प्रत्येक निर्वाचित सदस्य इस निर्वाचन में जितने मत देने का हक्कदार है उन की संख्या नीचे लिखे प्रकार से निर्धारित की जायेगी—

(क) किसी राज्य की विधान सभा के प्रत्येक निर्वाचित सदस्य के उतने मत होंगे, जितने कि एक हज़ार के गुणित, उस भागफल में हों जो राज्य की जन संख्या को उस सभा के निर्वाचित सदस्यों की सम्पूर्ण संख्या से भाग देने से आये;

  1. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में अनुच्छेद ५४ और ५५ में लोक सभा के निर्वाचित सदस्यों के प्रति और प्रत्येक ऐसे सदस्य के प्रति निर्देशों के अन्तर्गत उस सदन में जम्मू और कश्मीर राज्य के प्रतिनिधियों के प्रति निर्देश होंगे; और राज्य की जनसंख्या चवालीस लाख दस हज़ार समझी जायेगी।