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भारत का संविधान


तृतीय अनुसूची

राज्य के मंत्री के लिये पद-शपथ का प्रपत्र :—

"मैं,… अमुक,… ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा तथा …… मैं …… राज्य के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धा पूर्वक और शुद्ध अन्तःकरण से निर्वहन करूंगा, तथा भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना मैं सब प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा।"

राज्य के मंत्री के लिये गोपनीयता-शपथ का प्रपत्र :—

"मैं,… अमुक,… ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि जो विषय राज्य के मंत्री के रूप में मेरे विचार के लिये लाया जायेगा अथवा मुझे ज्ञात होगा, उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को, उस अवस्था को छोड़ कर जब कि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यो के उचित निर्वहन के लिये ऐसा करना अपेक्षित हो, अन्य अवस्था में मैं प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में संसूचित या प्रकट नहीं करूंगा।"

राज्य के विधानमंडल के सदस्यों द्वारा ली जाने वाली शपथ या प्रतिज्ञान का प्रपत्र :—

"मैं,… अमुक,… जो विधान-सभा (या विधान-परिषद्) के लिये सदस्य निर्वाचित (या नाम-निर्देशित) हुआ हूं, ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा तथा जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूं, उस के कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करूंगा।"

उच्चन्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा ली जाने वाली शपथ या प्रतिज्ञान का प्रपत्र :—

"मैं,… अमुक,… जो उच्चन्यायालय का मुख्य न्यायाधिपति (या न्यायाधीश) ईश्वर की शपथ लेता हूं/सत्यनिष्ठा से प्रतिज्ञान करता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति श्रद्धा और निष्ठा रखूंगा, तथा मैं सम्यक् प्रकार से और श्रद्धा पूर्वक तथा अपनी पूरी योग्यता, ज्ञान और विवेक से अपने पद के कर्तव्यों को भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना पालन करूंगा, तथा मैं संविधान और विधियों की मर्यादा बनाये रखूंगा।"