भाग २१ अस्थायी तथा अन्तर्कालीन उपबन्ध अनु॰ ३७४- ३७७
(५) इस अनुच्छद के उपबन्धों को प्रभावी बनाने के लिये संसद् विधि द्वारा और उपबन्ध बना सकेंगी।
संविधान के उपबंधों
के अधीन रहकर
न्यायालयों, प्राधि
कारियों और पदा
धिकारियों
का कृत्य करते रहना
[१]३७५. भारत राज्य क्षेत्र में सर्वत्र व्यवहार, दंड और राजस्व क्षेत्राधिकार वाले सब न्यायालय तथा न्यायिक, कार्यपालक और अनुसचिवीय प्राधिकारी और पदाधिकारी इस संविधान के उपबन्धों के अधीन रहते हुए अपने अपने कृत्यों को करते रहेंगे।
उच्च न्यायालयों के
न्यायाधीशों के बारे
में उपबन्ध
३७६ (१) अनुच्छेद २१७ के खंड (२) में किसी बात के होते हुए भी इस संविधान के प्रारम्भ में टीक पहिले किसी प्रान्त में के उच्चन्यायालय के पदस्थ न्यायाधीश, यदि वे अन्यथा पसन्द न कर चुके हों, ऐसे प्रारम्भ पर तत्स्थानी राज्य के उच्चन्यायालय के न्यायाधीश हो जायेंगे तथा तत्पश्चात् ऐसे वेतनों और भत्तों तथा अनुपस्थिति छुट्टी और निवृत्ति वेतन के विषय में ऐसे अधिकारों का हक्क रखेंगे जैसे कि उच्चन्यायालय के न्यायाधीशों के बारे में अनुच्छेद २२१ के अधीन उपबन्धित हैं।
[२][कोई ऐमा न्यायाधीश, इस बात के होते हुए भी कि वह भारत का नागरिक नहीं है, ऐसे उच्चन्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति के रूप में या किसी अन्य उच्च-न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति या अन्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होगा]
(२) इस संविधान के प्रारम्भ से ठीक पहिले प्रथम अनुसूची भाग (ख) में उल्लिखित किमी राज्य के तत्स्थानी किसी देशी राज्य में के उच्चन्यायालय के पदस्थ न्यायाधीश, यदि वे अन्यथा पसन्द न कर चुके हो, ऐसे प्रारम्भ पर वैसे उल्लिखित राज्य में के उच्चन्यायालय के न्यायाधीश हो जायेंगे तथा अनुच्छेद २१७ के खंड (१) और (२) में किसी बात के होते हुए भी किन्तु उस अनुच्छेद के खंड (१) के परन्तुक के अधीन रहते हुए ऐसी कालावधि तक पदस्थ बने रहेंगे जैसी कि राष्ट्रपति आदेश द्वारा निर्धारित करे।
(३) इस अनुच्छेद में "न्यायाधीश" पद के अन्तर्गत कार्यकारी न्यायाधीश या अपर न्यायाधीश नहीं है।
भारत के नियंत्रक-
महालेखापरीक्षक के
बारे में उपबन्ध
[३]३७७. इस संविधान के प्रारम्भ से ठीक पहिले पदस्थ भारत का महालेखा परीक्षक, यदि वह अन्यथा पसन्द न कर चुका हो, ऐसे प्रारम्भ पर भारत का नियन्त्रक महालेखा परीक्षक हो जायेगा तथा तत्पश्चात् ऐसे वेतनों तथा अनुपस्थिति छुट्टी और निवृत्ति वेतन के विषय में ऐसे अधिकारों का हक्क रखेगा जैसे भारत के नियन्त्रक महालेखा परीक्षक के बारे में अनुच्छेद १४८ के खंड (३) के अधीन उपबन्धित हैं, तथा अपनी उस पदावधि की, जो कि ऐसे प्रारम्भ में ठीक पहिले उसे लागू होने वाले उपबन्धों के अधीन निर्रत हो समाप्ति तक, पदस्थ बने रहने का हक्क रखेगा।