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भारत का संविधान

 

भाग १९—प्रकीर्ण—अनु॰ ३६७

(२) इस संविधान में संसद् के या द्वारा निर्मित अधिनियमों या विधियों के किसी निर्देश में अथवा []* * *किसी राज्य के विधान-मंडल के या द्वारा निर्मित अधिनियमों या विधियों के किसी निर्देश के अन्तर्गत यथास्थिति राष्ट्रपति द्वारा या राज्यपाल []* * *द्वारा अध्यादेश का निर्देश भी समझा जायेगा।

(३) इस संविधान के प्रयोजनों के लिये "विदेशी राज्य" में अभिप्रेत है भारत से भिन्न कोई राज्य :

परन्तु संसद्-निर्मित किसी विधि के उपबन्धों के अधीन रहते हुए राष्ट्रपति आदेश[] द्वारा किसी राज्य का विदेशी राज्य न होना ऐसे प्रयोजनों के लिये, जैसे कि आदेश में उल्लिखित किये जायें, घोषित कर सकेगा।[]


  1. "प्रथम अनुसूची के भाग (क) या भाग (ख) में उल्लिखित "शब्द संविधान अधिनियम," १९५६, धारा २९ और अनुसूची द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  2. "या राजप्रमुख" शब्द उपरोक्त के ही द्वारा लुप्त कर दिये गये।
  3. विधि-मंत्रालय आदेश संख्या सी॰ ओ॰ २, तारीख २३ जनवरी, १९५०, भारत सरकार का असाधारण गजट पृष्ठ ८० एन के साथ प्रकाशित संविधान (विदेशी राज्यों के संबंध में घोषणा) आदेश १९५०, देखिये।
  4. जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होने में अनुच्छेद ३६७ में निम्नलिखित खंड जोड़ दिया जाएगा, अर्थात्—
    "(४) इस संविधान के प्रयोजनों के लिये, जिसमें कि यह जम्मू और कश्मीर राज्य के सम्बन्ध में लागू होता है,—
    (क) इस संविधान के या इसके उपबन्धों के प्रति निर्देशों का ऐसे अर्थ किया जाएगा मानो कि वे उक्त राज्य के सम्बन्ध में यथा-प्रयुक्त संविधान के या उसके उपबन्धों के प्रति निर्देश है;
    (ख) उक्त राज्य की सरकार के प्रति निर्देशों या यह अर्थ किया जाएगा कि उनके अन्तर्गत अपनी मंत्रि-परिषद् की मंत्रण पर कार्य कर रहे सदरे रियासत के प्रति निर्देश है;
    (ग) उच्चन्यायालय के प्रति निर्देशों के अन्तर्गत जम्मू और कश्मीर राज्य के उच्चन्यायालय के प्रति निर्देश हैं;
    (घ) उक्त राज्य के विधान-मंडल या विधान-सभा के प्रति निर्देशों का यह अर्थ किया जाएगा कि उनके अन्तर्गत उक्त राज्य की संविधान सभा के प्रति निर्देश है;
    (ङ) उक्त राज्य के स्थायी निवासियों के प्रति निर्देशों का ऐसे अर्थ किया जाएगा मानो कि उन से वे व्यक्ति, जो संविधान (जम्मू और कश्मीर राज्य को लागू होना) आदेश १९५४ के प्रारम्भ से पूर्व राज्य में प्रवृत्त विधियों के अधीन राज्य के प्रजाजनों के रूप‌में अभिज्ञात थे या जो राज्य के विधान-मंडल द्वारा निर्मित किसी विधि द्वारा राज्य के स्थायी निवासियों के रूप में अभिज्ञात है, अभिप्रेत है; और
    (च) राजप्रमुख के प्रति निर्देशों का ऐसे अर्थ किया जाएगा मानो कि वे राष्ट्रपति द्वारा जम्मू और कश्मीर राज्य के सदरे रियासत के रूप में तत्समय के लिए अभिज्ञात व्यक्ति के प्रति निर्देश है और मानो कि उन के अन्तर्गत राष्ट्रपति द्वारा सदरे रियासत की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए सक्षम व्यक्ति के रूप में तत्समय अभिज्ञात किसी व्यक्ति के प्रति निर्देश भी है।"